1 . जैमिनी रॉय ने गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट से अपनी पढ़ाई पूरी की। यहां इन्होंने ब्रिटिश एकेटमिक शैली में वित्रकला सीखी।
2 . इसके बावजूद अभी वह कला के प्रशिक्षण से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे।
3 . दरअसल बने-बनाए रास्ते पर चलना उनको अच्छा नहीं लग रहा था। खुद के लिए वह एक अलग और नया रास्ता बनाना चाह रहे थे।
4 . यही वजह रही कि इन्होंने गांवों के परिदृश्य, जानवरों, आम लोगों और गांव के जीवन को अपनी चित्रकारी के सब्जेक्ट के तौर पर चुना।
5 . इस विधा को सीखने के लिए उनको ब्रिटिश एकेडमी स्टाइल की जरूरत नहीं थी। इसके लिए उनको कला की आत्मा और बारीकियों का ज्ञान बंगाल स्कूल के संस्थापक अबनिंद्रनाथ टैगोर से मिला। बता दें कि अबनिंद्रनाथ टैगौर उस समय कॉलेज ऑफ कोलकाता के वाइस प्रिंसिपल हुआ करते थे।
6 . इनके अलावा इन्होंने कला की बारीकियों को जानने के लिए ईस्ट एशियन कैलीग्राफी से भी प्रेरणा ली।
7 . 1920 में इनकी पेंटिंग राष्ट्रवाद से खासी प्रभावित हुईं। इसके साथ ही साथ वह ग्रामीण जीवन को भी अपनी तस्वीरों में उभारते रहे।
8 . इसके इतर जैमिनी रॉय ने पैराणिक कहानियों और किरदारों को भी अपनी चित्रकारी का हिस्सा बनाया।
9 . 1930 के दशक तक अपनी लोक शैली की चित्र कलाकृतियों के साथ-साथ जैमिनी रॉय पोर्ट्रेट भी बनाते रहे। इसमें उनके ब्रुश का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नजर आता रहा।
10 . यहां बेहद आश्चर्य की बात ये है कि उन्होंने यूरोप के महान कलाकारों के चित्रों की भी बहुत सुंदर अनुकृतियां बनाईं।
11 . अपनी चित्रकारी के लिए इन्होंने विभिन्न प्रकार के स्रोतों जैसे पूर्व एशियाई लेखन शैली, पक्की मिट्टी से बने मंदिरों की कला वल्लरियों, लोक कलाओं की वस्तुओं और शिल्प परम्पराओं आदि से भी प्रेरणा ली।
12 . इस बात में कोई शक नहीं है कि इस काल के बाद उन्होंने अपनी जड़ों से नजदीकी को अभिव्यक्ति देने की भरसक कोशिश की। आखिरकार 1972 में इस विश्व प्रसिद्ध चित्रकार का देहांत हो गया।
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