पहली बार देव आनंद को प्रभात टाकीज़ की एक फिल्म 'हम एक हैं' में काम करने का मौका मिला और पूना में फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी फ्रेंडशिप उस दौर के सुपर स्टार गुरु दत्त से हो गयी और ये लाइफ लांग चली.
देव आनंद को फर्स्ट इंर्पोटेंट ब्रेक अशोक कुमार ने दिया बॉम्बे टाकीज़ प्रोडक्शन की फिल्म 'ज़िद्दी' में.
1949 में देव आनंद ने अपनी फिल्म कम्पनी बनाई, जिसका नाम नवकेतन रखा.
नवकेतन के बैनर में फर्स्ट फिल्म बनी 'बाजी' जो गुरूदत्त ने डायरेक्ट की. ये फिल्म 1951 में रिलीज हुई. देव आनंद ने कुछ फिल्मों में निगेटिव रोल भी किए.
फिल्म 'टैक्सी ड्राईवर', की कोस्टार कल्पना कार्तिक से 1956 में देव आनंद ने शादी की और उनका एक बेटा हुआ जिसका नाम सुनील आनंद है.
1955 से लेकर 1960 तक के बीच में एक दौर ऐसा था कि उनका जादू यंगस्टर्स के सिर चढ़ कर बोल रहा था. कहा तो यहां तक जाता है कि उनके स्टाइल को कापी करने की दीवानगी छाई हुई थी और उनसे पब्लिकली ब्लैक सूट ना पहनने की रिक्वेस्ट की गयी थी क्योंकि उनकी खूबसूरती के लिए लड़कियां जान देने के लिए तैयार हो जाती थीं.
1955 में उन्होंने उस टाइम के एक और सुपर स्टार दिलीप कुमार के साथ काम किया, फिल्म का नाम था 'इंसानियत'.
1958 में उनको फिल्म 'काला पानी' के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया गया.
इसी दौर में उनकी मुलाकात एक्ट्रेस सुरैय्या से हुई जिनके साथ उन्होंने 6 फिल्मो में काम किया. एक बार देव आनंद ने शूटिंग के दौरान सुरैया को पानी में डूबने से बचाया और दोनों में प्यार हो गया. सुरैया की ग्रैंड मदर उनकी इंटर कास्ट मैरिज के अगेंस्ट थीं लेकिन सुरैया ने फिर कभी शादी नहीं की, अपनी डेथ से कुछ टाइम पहले देव आनंद ने एक्सेप्ट किया की वो उनसे प्यार करते थे और अगर उनकी शादी सुरैया के साथ हो गयी होती तो उनका जीवन शायद कुछ और ही होता.
1965 में उनकी पहली कलर फिल्म रिलीज हुई, जिसका नाम था 'गाइड'.
1977 में उन्होंने एक पॉलिटिकल पार्टी नेशनल पार्टी ऑफ़ इंडिया बनाई जो की उस टाइम की प्राइम मिनिस्टर इंदिरा गाँधी के अगेंस्ट खड़ी हुई थी. लेकिन ये ज्यादा समय तक नहीं चल सकी.
सितम्बर 2007 में उनकी ऑटो बायोग्राफी 'रोमांसिंग विद लाइफ' उनके बर्थडे पर लॉन्च की गयी, तब वहां फॉरमर प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह भी प्रेजेंट थे.
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