गोरखपुर (ब्यूरो)।वहीं देश को भी उनकी इन कोशिशों से मेडल हासिल हो रहे हैं. स्वीमिंग से देश को पैरालंपिक में पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले अंयतम अब रोइंग में भी किस्मत आजमा रहे हैं. वह रोइंग कॉम्प्टीशन में हिस्सा लेने वाले देश के पहले स्पेशल चाइल्ड हैं. इसके लिए उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है.
दोनों इवेंट में दिखाएंगे दम
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग कॉम्प्टीशन में असम से आए अंयतम राजकुमार स्पेशल चाइल्ड होने के बावजूद जनरल कैटेगरी में हिस्सा लेने के लिए आए हैं. खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी के टफ सेलेक्शन क्राइटेरिया के बाद भी वह टॉप 8 में नॉर्मल प्लेयर्स के साथ जगह बनाने में कामयाब हुए और गोरखपुर में एक नई कहानी लिखने को तैयार हैं. जनरल कैटेगरी की दोनों रोइंग इवेंट (2000 मीटर व 500 मीटर) में टक्कर देने आए हैं.
पांचवें सेमेस्टर का स्टूडेंट
दिव्यांगता की मेंटली रिटार्टेर्ड कैटेगरी में आने वाले अंयतम राजकुमार का माइंड प्रॉपर्ली डेवलप नहीं हो पाया. इसकी वजह से उन्हें बोलने में भी कुछ परेशानी आती है. इसके बाद भी वह असम की कॉटन यूनिवर्सिटी में बीए पांचवें सेमेस्टर के स्टूडेंट्स हैं. पिता द्विपेन राजकुमार की मानें तो मानसिक रूप से कमजोर होने के साथ शारीरिक रूप से भी काफी कमजोर थे. शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए छह साल की उम्र में उन्हें तैराकी सिखाने के लिए जब पानी में उतारा गया, तब उनकी क्षमता परिवार को समझ में आई.
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एक माह में बने मास्टर स्वीमर
द्विपेन की मानें तो अंयतम एक माह से भी कम समय में स्वीमिंग में मास्टर हो गए. पिता ने स्कूलिंग के साथ ही उसे स्वीमिंग की फील्ड में भी आगे बढ़ाने की सोच के साथ तैयार करना शुरू कर दिया. अंयतम राजकुमार ने भी पिता को निराश नहीं किया और नेशनल लेवल पर कई मेडल जीतने के साथ ही उन्होंने 2015 में लॉस एंजिलिस में ऑर्गनाइज वल्र्ड समर गेम (स्पेशल ओलंपिक) में हिस्सा लेकर इंडिया के लिए पैरालंपिक स्वीमिंग का पहला गोल्ड मेडल भी दिलाया.
जीते हैं कई मेडल्स
तैराकी के साथ अंयतम राजकुमार का रुझान रोइंग में 2016 से हो गया. इसमें भी उन्होंने नेशनल और स्टेट लेवल कॉम्प्टीशन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. लास्ट ईयर ऑस्ट्रेलिया में ऑर्गनाइज एशिया-प्रशांत स्पेशल गेम्स में उन्होंने 500 मीटर सिंगल स्कल रोइंग में गोल्ड मेडल, 2 किमी. मीटर सिंगल स्कल में ब्रॉन्ज और 2 किमी. की मिक्स्ड डबल में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इंडिया का नाम रोशन किया. हमेशा नॉर्मल रोवर्स के साथ प्रैक्टिस करने वाले अंयतम में ऑर्गनाइज नेशनल रोइंग कॉम्प्टीशन और चंडीगढ़ में ऑर्गनाइज यूनिवर्सिटी कॉम्प्टीशन में टॉप 8 में शामिल होकर खेलो इंडिया के लिए क्वालिफाई करने में कामयाब रहे.
खेलो इंडिया से मिला प्लेटफॉर्म
अंयतम राजकुमार के पिता द्विपेन के साथ उनकी मां नीरू दत्ता राजकुमारी भी उन्हें मोटिवेट करने के लिए गोरखपुर पहुंची हैं. दोनों का मानना है कि खेलो इंडिया अंयतम की प्रतिभा को तराशने का शानदार प्लेटफॉर्म है. इसका इस्तेमाल कर अंयतम के रोइंग टैलेंट को नई पहचान मिलेगी. उन्होंने बताया कि यहां रोइंग में पार्टिसिपेट करने वाले असम के इकलौते खिलाड़ी हैं.
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