कानपुर (इंटनेट डेस्क)। Guru Purnima 2024: गुरू पूर्णिमा, जो आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन आती है, हिंदुओं के साथ-साथ जैनियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। इस साल गुरू पूर्णिमा 21 जुलाई को दुनिया भर में मनाई जाएगी। भारत के अलावा नेपाल और भूटान में भी गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है। यह गुरूओं के प्रति ईमानदारी से सम्मान और कृतज्ञता दिखाने का समय है, जो मार्गदर्शक प्रकाश और सूचना प्रदाता के रूप में कार्य करते हैं। गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह महाभारत लिखने वाले ऋषि वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाई जाती है।

प्राचीन गुरू का सम्मान
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुरू पूर्णिमा का संबंध ऋषि पराशर के पुत्र, एक प्रसिद्ध ऋषि के जन्म से है। माना जाता है कि इस दिव्य बालक को भूत, वर्तमान और भविष्य (भूत काल, वर्तमान काल और भविष्य) का व्यापक ज्ञान था। इस आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान को संरक्षित करने और प्रसारित करने के महत्व को पहचानते हुए, उन्होंने वेदों को चार भागों में संपादित किया। व्यास के नाम से प्रसिद्ध इस प्राचीन गुरू का इस दिन सम्मान किया जाता है, जिसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गुरू पूर्णिमा शिक्षा और अध्ययन के शाश्वत मूल्य की याद दिलाती है, साथ ही उन सम्मानित गुरूओं की भी याद दिलाती है जो अपने ज्ञान को दुनिया के साथ खुलकर व्यक्त करते हैं।

इस दिन आम का दान
गुरू पूर्णिमा पर स्नान करने के बाद सफेद या पीले वस्त्र पहनकर त्रिदेव की पूजा करें। इसके बाद गुरू बृहस्पति और महर्षि वेद व्यास की पूजा कर अपने आराध्य गुरू का पूजन करें। गुरू की तस्वीर के समक्ष धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य, चंदन से उनका पूजन कर भोग लगाएं। इसके बाद गुरू से मिले दिव्य मंत्र का जप करें। गुरू पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के अलावा आम का दान करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही उत्तर भारत में अधिकांश जगहों पर गुरू पूर्णिमा के दिन चने की दाल का पराठा और आम खाने की भी परंपरा है। मान्यता है कि गुरू के साथ-साथ इस दिन मां की भी पूजा करनी चाहिए क्योंकि मां भी एक गुरू होती है। कहते हैं कि मां के ज्ञान से ही मनुष्य गुरू की ओर जाते हैं।