सिख धर्म के दस गुरुओं में से पहले गुरु हैं, गुरु नानक देव जी। इनके विषय में एक बहुत ही सुंदर कहानी है। कई बार गुरु नानक देव जी के पिताजी उनसे बाजार जाकर सब्जी बेचने के लिए कहते थे। सब्जी बेचते वक्त गिनती के समय वह 13 (हिंदी में तेरा) संख्या पर अटक जाते थे। तेरा का मतलब तुम्हारा भी होता है। तेरा शब्द सुनते ही वह दिव्यता की सोच में खो जाते थे। गुरु नानक जी कहते थे, 'मैं तेरा, मैं तेरा, मैं तेरा।‘
गुरु नानक जी का जीवन प्रेम, बुद्धिमत्ता और वीरता से परिपूर्ण था। सिख परंपरा के दस गुरुओं की कथाएं भी दिल को छू लेने और उत्थान करने वाली हैं। सारी कथाएं त्याग और निष्ठा की हैं। गुरुओं ने अपना सबकुछ अच्छे, निष्पाप और न्यायपरायण लोगों के लिए त्याग दिया। लोगों को ज्ञान का सार सरल एवं सहज शब्दों में दिया जाता था। आज, गुरु पूर्णिमा के दिन सिख समाज गुरु नानक जी का जन्म दिन मनाता है। 500 वर्ष पूर्व उन्होंने पंजाब से बगदाद तक अध्यात्म, भगवान के साथ एकरूपता और निष्ठा के सौंदर्य का संदेश फैलाने के लिए यात्रा की। वह पूरी तरह से भक्ति योग में डूब चुके थे।
लोग जब अपनी सांसारिक उलझनों में फंसे हुए थे, वह उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे। वह कहते, 'सांसारिक मामलों में इतना भी मत जकड़ो कि भगवान का नाम ही भूल जाओ। भगवान का नाम जपते रहना।‘ सिख धर्म की अग्रगण्य प्रार्थना 'जापजी साहेब’ गुरु नानक जी के संदेशों को बहुत सुंदर तरह से संपुटित करता है। उसमें कहा गया है, 'एक ओंकार (भगवान एक है), सत्नाम (उसका नाम सच है), कर्ता- पूरख (वह कर्ता है), निर्भौं (वह निर्भय है), निर्वैर (वह किसी का विरोधी नहीं), अकाल-मूरत (उसकी कभी मृत्यु नहीं होती), अजुनी-सैभंग (वह जन्म और मृत्यु के परे है), गुरपरसाद (सच्चे गुरु की दयालुता से उसका एहसास होता है), जप (उसके नाम का पुनरोच्चार करो), आद सच (वह सबसे पहला सच जब कुछ निर्माण भी नहीं हुआ था), जुगाद सच (वह हमेशा से सच है), है भी सच (वह अब सच है), नानक होसे भी सच (भविष्य में भी वह सच रहेगा)।‘
सारा संसार एक ओंकार (एक दिव्य) से जन्मा है। हमारे आसपास का सबकुछ इस एक अकेले ओंकार के कंपन से बना है। और गुरु की कृपा से ही तुम ओम को जान सकते हो। वह सब जगह है पर गुरु के माध्यम से ही तुम उसे समझ सकते हो। ओम ऐसी अनंत ध्वनि है, जो चेतना की गहराई में मौजूद है। सागर किनारे जाकर लहरों की आवाज ध्यान से सुनोगे तो ओम की ध्वनि सुनाई देगी। पहाड़ की चोटी पर चढ़कर हवा के बहने की आवाज सुनोगे तो ओम की ध्वनि सुनाई देगी। हमारे जन्म से पहले हम सब ओम थे। इस जन्म के बाद, हमारे मरने के बाद हम सब उस लौकिक ओम की ध्वनि में विलीन हो जाएंगे। अब भी सृष्टि के गर्भ में उसकी ध्वनि गूंज रही है।
बुद्ध, जैन, सिख, हिंदू, ताओ, शींतो किसी भी धर्म में ओंकार मंत्र को प्राधान्य दिया गया है। आओ हम खुश रहें, दूसरों को खुश रखें, प्रार्थना करें, सेवा करें और धर्म की रक्षा करने का कार्य करें।
सत्य ही सच्चा धन है, सच ही अनंत है
सिख परंपरा की, 'सत् श्री अकाल’ कही जाने वाली शुभकामना दुनिया में सबसे अच्छी शुभकामना है। 'स’ मतलब सच, 'श्री’ मतलब धन और 'अकाल’ मतलब अनंत। यानी सत्य ही सच्चा धन है, जो सच में अनंत है। अनंत दिव्य देवत्व ही सच है और वही सच्चा धन है। आज, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के अवसर पर आओ हम खुद को याद दिलाएं कि हम अपने मन को इस माया में, इस हमेशा बदलती दुनिया में फिसलने न दें।
श्री श्री रविशंकर
धरती पर सामाजिक बुराइयों को दूर करने आये थे गुरुनानक देव
Spiritual News inextlive from Spiritual News Desk