सोशल मीडिया का लिया सहारा
जानकारी है कि एनएसएफ ने इस कार्यक्रम की जानकारी के प्रसार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं धार्मिक सहिष्णुता पर अपने दृष्टिकोण को साझा करने और इस आयोजन में हिस्सा लेने वालों को ई-इन्विटेशन (इंटरनेट द्वारा भेजे जाने वाले आमंत्रण पत्र) भी भेजे. बताते चलें कि इस आयोजन को लेकर एनएसएफ के एक सदस्य ने इस संगठन को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खां के समय के प्रगतिशील बामपंथी संगठन के रूप में वर्णित भी किया.  

क्या दी जानकारी
इस बारे में एनएसएफ के एक सदस्य फबाद हसन ने जानकारी देते हुए बताया कि जब उन्होंने इमामबाड़े में शिया समुदाय के साथ एकजुता को दिखाया, तो पेशे से डॉक्टर जयपाल छाबरिया उनसे जुड़े और उनके साथ खड़े भी हुए. इसके मद्देनजर यह एक निष्पक्ष समूह है. उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह का शिष्टाचार वह  पाकिस्तान में विभिन्न प्रकार के अभियोजनों का सामना करने वाले पकिस्तानी हिंदुओं के प्रति भी रखते हैं.

हिंदुओं की रक्षा के लिए होना होगा एकजुट
इसी के साथ उन्होंने हिंदू मंदिरों को अपवित्र करने, उनकी बच्चियों का मर्जी के खिलाफ धर्म परिवर्तन करने, धार्मिक प्रथाओं व संस्कृति पर प्रतिबंध का हावाला देते हुए कहा कि इन्हीं सब कारणों से वह अब हिंदुओं की रक्षा के लिए एकजुट हुए हैं. उन्होंने कहा कि अब हिंदुओं की रक्षा उनके प्रमुख दायित्वों में से एक होगा. इसके लिए उन्हें एकजुट होना ही होगा.

समाज को दिखाने होंगे बदलाव  
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में हमारे समाज को बदलाव दिखाने होंगे. सिर्फ इतना ही नहीं इन बदलावों का हमें हिस्सा भी बनना होगा. उन्होंने चेताते हुए कहा कि अगर आज आप किसी के अधिकार के लिए उसके साथ खड़े नहीं हो सकते, तो कल आपको भी निशाना बनाया जाएगा. उस समय कोई भी आपके अधिकार के लिए आपके साथ खड़ा नहीं होगा.

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