GSAT-6A सैटेलाइट क्या है और किस काम आएगा?
यह सैटेलाइट एक हाई पावरS-band संचार उपग्रह है, जो अपनी कैटेगरी में दूसरा है। भारत इससे पहले GSAT-6 को लॉन्च कर चुका है। अगस्त 2015 से धरती की कक्षा में चक्कर लगा रहे GSAT-6 को यह लेटेस्ट सैटेलाइट सपोर्ट देने के लिए भेजा जा रहा है, तभी इसमें ज्यादा पावरफुल कम्यूनीकेशन पैनल्स और डिवाससेस लगाई गई हैं। इस सैटेलाइट में लगा 6 मीटर का S-Band Unfurlable Antenna यानि कॉम्पैक्ट एंटीना जब खुलेगा, तो इसके द्वारा धरती पर कहीं से भी कहीं को सैटेलाइट कॉलिंग आसान हो जाएगी। इस सैटेलाइट को स्पेस में भेजकर सरकार चाहती है कि पूरे देश में छोटे ग्राउंड स्टेशन और हाथ में पकड़े जाने वाले उपकरणों से कॉलिंग करने की सुविधा का विकास किया जा सके। GSAT-6A सैटेलाइट किसी सामान्य संचार उपग्रह से बहुत खास है। 2,000 किलो वजनी इस सैटेलाइट को बनाने में करीब 270 करोड़ रुपयों की लागत आई है।
आसान शब्दों में कहें तो GSAT-6A भारत में सैटेलाइट आधारित मोबाइल कॉलिंग और कम्यूनीकेशन को बहुत आसान बनाने में दमदार रोल प्ले करेगा। ISRO के मुताबिक GSAT-6A संचार सैटेलाइट आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से 29 मार्च की शाम 4 बजकर 56 मिनट पर GSLV rocket द्वारा लॉन्च कर दिया गया। इस सैटेलाइट की लाइफ करीब 10 साल की होगी।
कहां बनाया गया GSAT-6A का S-band एंटीना
आपको बता दें कि भारत के इस नए दमदार सैटेलाइट में लगा सबसे खास S-band एंटीना ISRO के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद में विकसित किया गया। S-band कम्यूनीकेशन में यूज होने वाला इसका Unfurlable Antenna बहुत ही हल्का और कॉम्पैक्ट है, लेकिन उसकी ताकत लाजवाब है, तभी तो यह सैटेलाइट भारत भर में सैटेलाइट कॉलिंग और संचार को न सिर्फ आसान बनाएगा, बल्कि उसका यूज करने के लिए धरती पर भारी भरकम और महंगे उपकरणों की जरूरत भी कम हो जाएगी। साथ ही इस सैटेलाइट में C-band कम्यूनीकेशन के लिए भी एक 0.8 मीटर का ऐंटीना लगा हुआ है, जो ट्रेडिशनल संचार उपकरणों की ताकत को थोड़ा बढ़ाएगा।
भारतीय सेनाओं को मिलेगा संचार का नया हथियार
बता दें कि GSAT-6A खासतौर पर सेनाओं के बीच दूरस्थ स्थानों से होने वाली कॉलिंग को आसान बनाएगा। ISRO के मुताबिक यह सैटेलाइट जनरल संचार सेवाओं के लिए किसी ट्रांसपॉंडर क्षमता को नहीं बढ़ाएगा, बल्कि यह उपग्रह खास तौर पर रिमोट एरिया में मौजूद सेनाओं की टुकडि़यों के बीच बेहतर संचार प्रणाली विकसित करने में मददगार होगा। इस काम के लिए GSAT-6A में लगा 6 मीटर चौड़ा छाते जैसा एंटीना ही रामबाण साबित होगा। इसरो द्वारा आमतौर पर भेजे जाने वाले सैटेलाइट्स में लगे किसी भी एंटीने की तुलना में 6A का एंटीना करीब 3 गुना ज्यादा बड़ा और पावरफुल है। इसकी यही क्षमता भारतीय सेनाओं और उनकी टुकडि़यों के बीच हैंडहेल्ड डिवायसेस के इस्तेमाल से सीधी कॉलिंग को संभव बनाएगी। छोटे ऐंटीने वाले बाकी किसी भी संचार उपग्रह के द्वारा धरती पर रहते हुए सैटेलाइट कम्यूनीकेशन करने के लिए बड़े ग्राउंड स्टेशन की जरूरत होती है, लेकिन यह GSAT-6A इसी समस्या को हल करके सेनाओं के बीच के संचार को आसान और तेज बना देगा। इसका फायदा सेनाओं के ऑपरेशन के दौरान ज्यादा कारगर साबित होगा।
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