NEW DELHI: ग्रामीण इलाकों में कर्ज की रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकारी बैंकों में पोस्टिंग के नियमों में बदलाव हो सकता है। इसके तहत कर्मचारियों की रुरल ब्रांच (ग्रामीण शाखाओं) में पोस्टिंग लंबी अवधि के लिए किए जाने से लेकर सख्त टारगेट तय किए जा सकते हैं।
क्या हो सकता है बदलाव?
एक बैंकर के अनुसार आरबीआई इस मामले में बैंकों के साथ मीटिंग कर रहा है। जिसमें ग्रामीण इलाकों में कर्ज की रफ्तार बढ़ाने पर जोर दिया गया है। अधिकारी के अनुसार ग्रामीण इलाकों में अभी भी उम्मीद के अनुसार डिमांड नहीं आ रही है। ऐसे में आरबीआई अब चाह रहा है कि बैंक ग्रामीण बैंकिंग के मॉडल में बदलाव करें। इसके तहत पब्लिक सेक्टर बैंकों में कर्मचारियों की पोस्टिंग पॉलिसी में बदलाव की योजना है। जिसमें कर्मचारियों का लंबी अवधि तक ग्रामीण शाखाओं पर रुकना होगा। साथ ही पहले से ज्यादा सख्त टारगेट भी तय किए जा सकते हैं।
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एक बैंकर के अनुसार अभी ज्यादातर बैंक कर्मचारी ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग नहीं चाहते हैं। उसकी प्रमुख वजह वहां पर काम ज्यादा प्रेशर और सुविधाओं की कमी है। इसके अलावा स्थानीय लेवल राजनीतिक हस्तक्षेप भी ज्यादा होने की वजह से कर्मचारी ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग नहीं चाहते हैं। बैंकर के अनुसार ज्यादातर कर्मचारी इन इलाकों में पोस्टिंग टाइम काटने के उद्देश्य से काम करते हैं।
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क्यों आरबीआई चाहता है बदलाव?
आरबीआई की परेशानी इसलिए ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में बैंकों का कर्ज काफी तेजी से गिरा है। मार्च 2016 से मई 2017 के बीच में जहां एग्रीकल्चर और एलॉयड एक्टिविटी को मिलने वाले कर्ज की रफ्तार केवल 1.8 परसेंट की दर से बढ़ी है। वहीं माइक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज सेक्टर की रफ्तार 3 परसेंट नेगेटिव हो गई है। इसी तरह माइक्रो क्रेडिट भी एक फीसदी नेगेटिव हो गया है।
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