अक्टूबर को ही वापस ले लिया गया आदेश
एक सूत्र ने बताया कि सरकार ने यह आदेश अक्टूबर में ही वापस ले लिया था। यही वजह है कि अक्टूबर के बाद से सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने एलपीजी के रेट में बढ़ोतरी नहीं की है। सरकार ने 1 जुलाई, 2016 से इन कंपनियों को हर महीने बिना वैट के 2 रुपये प्रति महीने 14.2 किलो के हर एलपीजी सिलेंडर पर बढ़ाने की मंजूरी दी थी।
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10 बार बढ़ा दिए गए एलपीजी के रेट
साल में प्रत्येक उपभोक्ता को 12 सिलेंडर सब्सिडी वाले मिलते हैं। इसके बाद उसे सभी सिलेंडर बाजार मूल्य पर ही लेने पड़ते थे। 30 मई, 2017 को सरकार ने एलपीजी के प्रति सिलेंडर पर 2 रुपये से बढ़ाकर 4 रुपये बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी। अब जून 2017 से पेट्रोलियम कंपनियां एलपीजी में हर महीने 4 रुपये प्रति महीने की दर से बढ़ोतरी करने लगीं। इसका मकसद यह था कि सब्सिडी को घटा कर शून्य कर देना है। यह काम मार्च, 2018 तक पूरा करना था।
केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव के बाद इन लोगों को नहीं मिलेगी गैस सब्सिडीउज्जवला योजना पर पड़ रहा था उल्टा असर
दरअसल सरकार को यह फैसला इसलिए वापस लेना पड़ा क्योंकि इससे उज्जवला योजना पर उल्टा असर पड़ रहा था। चूंकि सरकार इस योजना के तहत गरीबों को सस्ते रेट पर एलपीजी उपलब्ध कराना चाह रही थी जबकि हो इसका उल्टा रहा था। ग्राहकों को एलपीजी बाजार मूल्य पर खरीदना पड़ता है जबकि सब्सिडी उनके खाते में बाद में आती है। सरकार के इस फैसले से बाजार मूल्य वाले एलपीजी पर काफी असर पड़ रहा था। पिछले 17 महीनों में 19 किस्तों में एलपीजी के रेट में 76.5 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है।
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