अब तक भारत में किराए की कोख कानूनी है।
सरकार के इस फैसले से भारत में सरोगेसी का कारोबार प्रभावित होगा। भारत में सरोगेसी का कारोबार 9 अरब डॉलर का है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है।
लेकिन आलोचकों का मानना है कि कानून न होने के कारण इससे भारत की ग़रीब और कम उम्र महिलाओं का शोषण भी होता है।
सरकार के हलफ़नामे की 7 ख़ास बातें।
1. सरकार सरोगेसी (किराए की कोख) के व्यवसायीकरण के पक्ष में नहीं है।
2. सिर्फ़ परोपकार के उद्देश्य से ही किराए की कोख को अनुमति दी जाएगी वह भी सिर्फ़ ज़रूरतमंद भारतीय शादीशुदा निसंतान के लिए। इसके लिए कानून एक स्थापित एक संस्था से अनुमति लेनी होगी।
3. सरकार सरोगेसी की व्यावसायिक सेवा पर रोक लगाएगी और ऐसा करने वालों को सज़ा देगी।
4. सिर्फ़ भारतीय दंपत्तियों के लिए ही सरोगेसी की अनुमति होगी।
5. कोई विदेशी भारत में सरोगेसी की सेवाएं नहीं ले सकता।
6. सरोगेसी से जन्मे शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे की देखभाल का ज़िम्मा नहीं लेने वाले माता-पिता को सज़ा दी जाएगी।
7. इस कानून को तैयार करने में सरकार को कुछ समय लगेगा।
किराए की कोख का चलन यूरोप में प्रतिबंधित है और अमरीका में इस पर कड़े नियम लागू हैं।
सस्ती तकनीक, अच्छे डॉक्टरों और स्थानीय महिलाओं के उपलब्ध होने के कारण भारत उन कुछ देशों में से है जहां एक महिला बिना किसी कानूनी पचड़े के दूसरा महिला के बच्चे को जन्म दे सकती है।
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