कानपुर। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का अंहकार चूर किया था, इसलिए यह पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा का पर्व प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 28 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि सुबह 9 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सांयकाल 3 बजकर 26 मिनट से 5 बजकर 40 मिनट के बीच है।
गोवर्धन पूजा विधि
इस दिन सुबह के समय गाय के गोबर से गोवर्धन बनाएं। शास्त्र में उसको शिखर प्रयुक्त, वृक्ष-शाखादि से संयुक्त और पुष्पादि से सुशोभित बनाने का विधान है, किन्तु अनेक स्थानों पर उसे मनुष्य के आकार का बनाकर पुष्पों, लताओं आदि से सजाते हैं। शुभ मुहूर्त में उसका धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि से पूजन करें। पूजा के बाद गोवर्धनजी की जय बोलते हुए सात बार उनकी परिक्रमा करें। गोवर्धनजी लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। इनकी नाभि की जगह एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रखा जाता है। पूजा के समय 'गोवर्धन धराधार गोकुलत्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव।।' से उनकी प्रार्थना करें। इसके बाद गायों का आवाहन करके उनका यथा-विधि पूजन करें और 'लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।' से उनकी प्रार्थना करें।