रिश्ते हैं मन की बेहतर हालात की कुंजी
एक शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि बच्चों और उसकी मां के बीच बातचीत में अगर गर्मजोशी की कमी है तो इसका मतलब यह है कि उनका आपस में तालमेल नहीं है और ये मां में अवसाद का कारण बन सकता है। और अगर मांएं अवसाद से पीड़ित रहती हैं, तो उनका अपने बच्चों के साथ व्यवहार भी कड़वाहट भरा होता है। ये अध्ययन बताता है कि बच्चों के संग संबंध में सुधार लाकर ही अवसाद से बचा जा सकता है।
रिश्तो की गरमाहट ही है मां की खुशियों की वजह
शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि बच्चों और उसकी मां के बीच बातचीत में अगर गर्मजोशी नहीं है तो इसका मतलब यह है कि उनमें आधारभूत बांडिग नहीं है। अमेरिका के बिंघमटन विश्वविद्यालय के ब्रैंडन गिब ने बताया, "हम यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि मां और उनके बच्चों के बीच का तालमेल किस प्रकार अवसाद को प्रभावित करता है। जर्नल ऑफ चाइल्ड साइकोलॉजी एंड साइकिएट्री में प्रकाशित इस शोध के नतीजे बताते है कि आपसी समझ और तालमेल का आपकी भावनाओं पर गहरा असर पड़ता है और बच्चों से अच्छी साझेदारी रखने वाली महिलायें अपेक्षाकृत कम अवसादग्रस्त होती हैं।
अवसाद के इतिहास वाली महिलायें भी बनी शोध का हिस्सा
शोध में 7 से 11 साल के बच्चों और उनकी मांओं को शामिल किया गया। इसमें शामिल महिलाओं में से 44 का अवसाद का इतिहास रहा था जबकि 50 के साथ ऐसी कोई बात नहीं थी। उनका आपस में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की बातचीत के दौरान उनके धड़कनों के उतार-चढ़ाव का अध्ययन किया गया। पहली बातचीत में मां और बच्चों की जोड़ी ने अपने पसंदीदा पर्यटन स्थल पर छुट्टियां बिताने को लेकर बातचीत की और दूसरी जोड़ी में उनके बीच तनाव के मामलों को लेकर बातचीत हुई, जिसमें होमवर्क करना, टीवी या कम्प्यूटर का प्रयोग करना, स्कूल की समस्याएं, समय पर तैयार होना जैसे विषय शामिल थे।
पुरानी हिस्ट्री से भी पड़ता है फर्क
निष्कर्षो से पता चला कि वे मांएं जिनका अवसाद का कोई इतिहास नहीं है, उनके अपने बच्चों के साथ नकारात्मक बातचीत के दौरान दिल की धड़कन में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। शोध प्रमुख मैरी वूडी के अनुसार उन्होंने पाया कि जिन मांओं में अवसाद का कोई इतिहास नहीं है, वे उस क्षण में अपने बच्चों की शारीरिक क्रिया के साथ तालमेल बिठा लेती हैं। जबकि जिन महिलाओं का अतीत अवसाद से घिरा रहा था उनके साथ बिल्कुल विपरीत स्थिति देखी गयी। उनका आपस में बिल्कुल तालमेल नहीं था। जब एक बातचीत में एक व्यक्ति अधिक शामिल होता था तो दूसरा दूर चला जाता था। इस तरह उनकी आपस में पटती नहीं थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि खासतौर से जिन महिलाओं की मां के परिवार में अवसाद का माहौल रहा था, उनके साथ अवसाद के अगली पीढ़ी तक पहुंचने का खतरा रहता है।
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