आडवाणी के किया था नरेंद्र मोदी के इस्तीफे का विरोध
कानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिंदगी में गोवा राज्य की विशेष भूमिका रही। गुजरात के मुख्यमत्री बने रहने से लेकर देश के प्रधानमत्री बनने का तक का रास्ता गोवा से ही होकर गुजरा। आज भी साल अप्रैल 2002 का वो किस्सा लोगों के बीच अक्सर चर्चा में रहता है।पीटीआई के मुताबिक गुजरात दंगे के बाद गोवा में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन हुआ। इसमें गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की मांग हो रही थी।प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी मोदी का इस्तीफा चाहते थे। कहा जाता है कि मोदी भी हर तरफ से दबाव देखते हुए सीएम पद से इस्तीफा देने को तैयार थे लेकिन इस दौरान लालकृष्ण आडवाणी और स्वर्गीय प्रमोद महाजन जैसे नेताओं ने खुलकर उनका समर्थन किया था। इस दौरान आडवाणी की मेहनत रंग लाई थी। नरेंद्र मोदी को गुजरात के सीएम पद से इस्तीफा नहीं देना पड़ा था।
मोदी के पीएम बनने का रास्ता भी गोवा से ही गुजरा था
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने का सफर भी यहीं से तय हुआ था। ऐसे में जून 2013 में गोवा में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक बार फिर मोदी का नाम चर्चा में रहा। इस बैठक में मोदी के नाम का प्रस्ताव लोकसभा चुनावों की कैंपेन कमेटी के प्रमुख के तौर पर रखा गया।इसी के बाद उन्हें पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का रास्ता साफ हुआ।हालांकि 2002 से अब तक मोदी और आडवाणी के बीच काफी कुछ बदल चुका था।आडवाणी ने स्वास्थ्य ठीक नहीं होने की बात कह कर इस बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया था।वहीं जानकारों की मानें तो आडवाणी बिल्कुल नहीं चाहते थे कि मोदी को यह पद सौंपा जाए।इस बैठक में शामिल होने के लिए आडवाणी की मान मनौव्वल हुई और इंतजार किया गया लेकिन वह नहीं शामिल हुए। इसके बाद आडवाणी की गैर मौजूदगी में मोदी के नाम की घोषणा हो गई।
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