कभी पलड़ा जर्मनी की तरफ झूलता तो कभी घाना की तरफ़. आख़िरकार मैच 2-2 से बराबरी पर ख़त्म हुआ.
बेहद निराशाजनक पहले हाफ़ के बाद जैसे दूसरे हाफ़ में दोनों टीमों में जान आ गई. हाफ़ टाइम तक दोनों टीमें 0-0 पर थीं.
फ़ुटबॉल विशेषज्ञ नोवी कपाड़िया कहते हैं, "दोनों ही टीमें शानदार खेलीं. जर्मनी ने दिखाया कि वो आख़िर वक़्त तक हार नहीं मानते और घाना ने दिखाया कि क्यों उन्हें अफ़्रीका की सर्वश्रेष्ठ टीम कहा जाता है. जर्मनी भाग्यशाली थी कि आख़िरी वक़्त में उनके दो अनुभवी खिलाड़ी बैस्टि्यान स्वांइसटाइगर और मीरोस्लाव क्लोज़ा मैदान में आए और क्लोज़ा ने बराबरी का गोल कर दिया."
घाना के कोच क्वेसी एपिया इसी बात से ख़ुश थे कि उनकी टीम ने शक्तिशाली जर्मनी को रोक कर रखा. लेकिन दूसरे हाफ़ में जो कुछ होने वाला था उसका तो किसी को अंदाज़ा भी नहीं था.
दूसरे हाफ़ का ज़बरदस्त एक्शन
नई ऊर्जा के साथ दोनों मैदान में उतरीं. आख़िरकार 51वें मिनट में थॉमस मुलर के पास पर मारियो गोट्से के हेडर ने जर्मनी को 1-0 की बढ़त दिला दी.
जर्मनी के प्रशंसक ठीक से ख़ुशियां मना भी नहीं पाए थे कि 54वें मिनट में घाना ने बराबरी का गोल दाग दिया.
हैरीसन एलपूला के बेहतरीन क्रॉस को आंद्रे आयु के ताकतवर हेडर ने गोल में बदल दिया जर्मनी के गोलकीपर मानुएल नोयार के पास कोई मौक़ा नहीं था.
घाना की टीम में नई उर्जा का संचार हो चुका था. 62वें मिनट में आसमो जान ने एक और गोल दागा और जैसे स्टेडियम में मौजूद घाना के समर्थक ख़ुशी से झूम उठे. स्कोर घाना के पक्ष में 2-1 हो चुका था.
क्लोज़ा ने किया बराबरी का गोल
हार को सामने देख जर्मनी के टीम ने अपने हमलों में तेजी कर दी. 72वें मिनट में एक कॉर्नर किक को सही जगह पर मौजूद वरिष्ठ जर्मन खिलाड़ी मीरोस्लाव क्लोज़ा ने गोल पोस्ट में झुला दिया. स्कोर फिर बराबर हो चुका था.
ये क्लोज़ा का 15वां विश्व कप गोल था. उन्होंने इसी के साथ सबसे ज़्यादा विश्व कप गोल के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली.
मैच में पूरी तरह से रवानगी आ चुकी थी. दोनों ही टीमें अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी थीं.
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