लगता है कि अंतरिक्ष से सेटेलाइट्स के गिरने का सिलसिला रूकने का नाम नही लेगा. कुछ समय पहले नासा के एक सेटेलाइट की खबर से एस्ट्रोनाट्स में खलभली मची हुई थी और अब वही चिन्ताएं जर्मनी के एस्ट्रोनाट्स के मन में भी पैदा हो गई हैं. माना जा रहा है कि इसी महीने के आखिरी तर जर्मनी का एक पुराना सेटेलाइट धरती पर गिर सकता है.

तो अब germany का satellite गिरेगा धरती पर

 

जर्मनी के एस्ट्रोनाट्स ने कहा है कि बेकार हो चुके 2.4 टन वजन के एक जर्मन सेटेलाइट के इस हफ्ते धरती पर गिरने की पासिबिलिटी है. हालांकि अभी तक यह पता नहीं चला है कि ये कब और कहां गिरेगा. बड़े आकार का जर्मन रोंटजन सैटेलाइट (रोसैट) शनिवार या रविवार को धरती पर गिर सकता है.

जर्मन अंतरिक्ष विज्ञानियों ने अनुमान लगाया है कि 21 से 25 अक्टूबर के बीच यह सेटेलाइट धरती पर गिर सकता है. एरोस्पेस आफीशिअल्स के मुताबिक 2.4 टन की एक्सरे अंतरिक्ष वेधशाला धरती के वायुमंडल में घुसते ही टूट जाएगी. लेकिन इसका करीब 1.7 टन मलबा बचा रह सकता है. आशंका जताई जा रही है कि यह मलबा धरती की सतह तक भी पहुंच सकता है. 

इससे पहले सितंबर के आखिर में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का जलवायु उपग्रह अपर एटमोस्फेयर रिसर्च सैटेलाइट प्रशांत महासागर में गिर पड़ा था.

जर्मन स्पेस एजेंसी डीएलआर के एक्जीक्यूटिव बोर्ड के हेड, जॉन वोर्नर ने स्पेस डाट काम को बताया कि उन्हे नहीं लगाता कि ग्लासेस और चीनी मिट्टी के टुकड़ों को छोड़कर बड़े हिस्से धरती के वातावरण में घुसेंगे. उन्होंने कहा कि धरती के वातावरण में दोबारा प्रवेश के दौरान लेड और चीनी मिट्टी ही बच सकती है. यह बड़े टुकड़ों में नीचे गिर सकती है. डीएलआर अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस बात की दो हजार में से एक प्राबिलिटी है कि रोसैट का कोई टुकड़ा धरती से टकरा जाए, पर पासिबिलिटी तो है ही. इससे पहले नासा का जो सेटेलाइट गिरना था उसकी पासिबिलिटी 3,200 में से एक थी. 

जर्मन स्पेस एजेन्सी अधिकारी रोसैट पर करीब से नजर रखे हुए हैं मगर यह बात बता पाना काफी कठिन है कि यह मलबा कहां गिरेगा. धरती पर पहुंचने से दो घंटे पहले ही यह सही सही पता लगाया जा सकता है सेटेलाइट कब और कहां गिरेगा. माना जा रहा है कि कनाडा से लेकर दक्षिणी अमेरिका के बीच किसी जगह पर यह उपग्रह गिरेगा.

रोसैट जून 1990 में लांच किया गया था. 1998 में सेटेलाइट का स्टार ट्रैकर फेल हो गया था जिसकी वजह से इसका कैमरा सूर्य की दिशा में केंद्रित हो गया था. रोसैट को फरवरी 1999 में कार्य मुक्त कर दिया गया और तब से यह डेड सिचुएशन में स्पेस में घूम रहा है. पहले के अनुमानों के मुताबिक नवंबर में इस यान के धरती पर गिरने की बात सामने आई थी मगर नए रिसर्च से पता चला है कि यह इस हफ्ते के आखिर में ही गिर सकता है.

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