'लीगली इंडिया' वेबसाइट पर एक ब्लॉग में 'पीड़िता' ने लिखा है, "जो लोग अफ़वाहें फैला रहे हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, वो अपने पूर्वाग्रहों और द्वेष की वजह से ऐसा कर रहे हैं, वो मुद्दे से ध्यान भटकाना चाह रहे हैं और जांच और जवाबदेही से बचना चाहते हैं."
सोमवार को जस्टिस गांगुली ने भारत के मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम को लिखी एक चिट्ठी में कहा था कि मामले में उनका पक्ष नहीं सुना गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक चिट्ठी में जस्टिस गांगुली ने कहा है, "हाल में हुई कुछ घटनाओं से मैं व्यथित हूं. मैं दुखी हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने मुझसे ठीक से बात नहीं की."
पर अपने ब्लॉग में महिला इंटर्न ने लिखा है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट की गठित समिति पर पूरा भरोसा है बल्कि उसकी रिपोर्ट पर बार-बार सवालिया निशान उठाए जाने पर ही उन्होंने समिति के सामने दिए अपने बयान का हलफ़नामा सार्वजनिक किया.
जवाब
जस्टिस गांगुली के ख़िलाफ़ अपने साथ काम करने वाली एक महिला के यौन उत्पीड़न के आरोप की पड़ताल के लिए मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की एक समिति का गठन किया था.
"जो लोग अफ़वाहें फैला रहे हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, वो अपने पूर्वाग्रहों और द्वेष की वजह से ऐसा कर रहे हैं."
-महिला इंटर्न
समिति ने 28 नवंबर को अपनी रिपोर्ट में लिखा था, "बयानों के आधार पर पहली नज़र में पता चलता है कि जस्टिस गांगुली ने महिला इंटर्न की मर्ज़ी के खिलाफ़ यौन व्यवहार किया."
समिति के सामने दिए 'पीड़िता' के हलफ़नामे के मीडिया को लीक होने पर भी जस्टिस गांगुली ने आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि उन्हें हलफ़नामा देखने नहीं दिया गया जिसमें उनके खिलाफ़ आरोप हैं.
वहीं महिला इंटर्न ने अपने वक्तव्य में कहा है कि उनके हलफ़नामे पर सवाल उठाना, "मुझे और भारत के सुप्रीम कोर्ट को बेइज़्ज़त करने के बराबर है."
लेकिन रिपोर्ट में ये भी कहा गया चूंकि जिस दिन ये घटना हुई, तब तक जस्टिस गांगुली अपने आख़िरी दिन का काम ख़त्म कर चुके थे. इस हालत में सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगा.
जस्टिस गांगुली ने लिखा है, "मैं ये स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने न तो कभी किसी महिला इंटर्न का उत्पीड़न किया और न ही किसी की तरफ़ कोई ग़लत कदम उठाया."
पुलिस को शिकायत
"मैं ये स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने न तो कभी किसी महिला इंटर्न का उत्पीड़न किया और न ही किसी की तरफ़ कोई ग़लत कदम उठाया."
-रिटायर्ड जस्टिस एके गांगुली
यौन उत्पीड़न का ये मामला सार्वजनिक होने के बाद से महिला इंटर्न के पुलिस में शिकायत ना करने पर भी सवाल उठते रहे हैं.
अपने ब्लॉग पर इस मुद्दे पर सफ़ाई देते हुए उन्होंने लिखा है, "मेरी दरख़्वास्त है कि इस मामले में समय-समय पर मेरी ओर से उठाए कदमों को समझा जाए, मैं कब किस तरह की कार्रवाई करना चाहती हूं, इसे तय करने की मेरी स्वतंत्रता की इज़्ज़त की जाए."
इस मामले में क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल सेवानिवृत्त जस्टिस गांगुली से पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हट जाने की मांग कर चुके हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उन्हें राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने का औपचारिक अनुरोध किया है.
लेकिन जस्टिस गांगुली इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं.
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