कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। यह 11 दिवसीय उत्सव नई शुरुआत, ज्ञान और बाधा निवारण के देवता भगवान गणेश जी के जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह भाद्रपद (हिंदू कैलेंडर) के चौथे दिन शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होता है। गणेश विसर्जन के दौरान भव्य जुलूसों के बीच गणेश की मूर्ति को जल में विसर्जित किया जाता है। इस साल यह त्योहार 7 सितंबर को पड़ रहा है। यह खुशी का त्योहार न केवल गणेश के जन्म का स्मरण करता है, बल्कि ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के अवतार के रूप में उनके सम्मानित गुणों का भी सम्मान करता है। माना जाता है कि इस दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान भगवान गणेश के दिव्य आशीर्वाद को सुरक्षित रखते हैं। इस वजह से भक्त इस पवित्र अवसर को आशा और श्रद्धा के साथ उत्सुकता से अपनाते हैं।
गणेश चतुर्थी के लिए क्या करें और क्या न करें क्या करें
क्या करें
मूर्ति घर लाना
गणेश की मूर्ति को 1, 3, 7 या 10 दिनों के लिए घर लाना शुभ माना जाता है। प्रत्येक अवधि का अपना महत्व होता है, लेकिन सबसे आम प्रथा मूर्ति को 10 दिनों तक रखना है।

मूर्ति की विशेषताएं
मूर्ति में एक चूहे (गणेश का वाहन) और मोदक (उनकी पसंदीदा मिठाई) जरूर होना चाहिए। यह सुझाव दिया जाता है कि मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में हो, जो शांति और स्थिरता का प्रतीक है।

मूर्ति की स्थिति
मूर्ति को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके रखना चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि ये सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद लाती हैं।

प्रार्थना
भक्तों को प्रतिदिन सुबह और शाम को प्रार्थना करनी चाहिए और दीये जलाना चाहिए। भक्तों को सबसे पहले गणेश जी को जल, भोजन और प्रसाद सहित सभी चीजें अर्पित करनी चाहिए।

क्या न करें
आहार प्रतिबंध
गणपति स्थापना (मूर्ति की स्थापना) के बाद, प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है। इन खाद्य पदार्थों को तामसिक माना जाता है, जो घर के सात्विक (शुद्ध) कंपन को कम कर सकते हैं।

मूर्ति रखने का स्थान
मूर्ति को सीढ़ियों के नीचे, बेडरूम में या बाथरूम की दीवारों के सामने नहीं रखना चाहिए, क्योंकि ये स्थान अशुभ माने जाते हैं।

सूंड की स्थिति
मूर्ति की सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह गणेश की अधिक तीव्र और संभावित रूप से मुश्किल-से-संभालने वाली ऊर्जा से जुड़ी है।

मुख्य द्वार
मूर्ति को पेश करते समय या विसर्जन (विसर्जन) समारोह के दौरान घर के मुख्य द्वार को बंद न करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि खुला दरवाजा दैवीय आशीर्वाद के स्वागत और गणेश की ऊर्जा के निर्बाध प्रस्थान का प्रतीक है।

डिसक्लेमर
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