पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी में भगवान गणेश की पूजा करते से पहले पूजन सामग्री इकठ्ठा कर लें। पूजन सामग्री में कुमकुम, केसर, अवीर, गुलाल, सिन्दूर, पुष्प, चावल, चौसरे, ग्याराह सुपारियां, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, बिल्व पत्र, धूप बत्ती, दीप, नैवेद्य लड्डू पांच गुड़ प्रसाद, लौंग, इलायची, नारियल, कलश, लाल कपड़ा एक हाथ, सफेद कपड़ा एक हाथ, बरक, इत्र, पुष्पहार, डंठल सहित पान, सरसो, जनेऊ, मिश्री, बताशा और आंवला।

ऐसे करें पूजन:- इस दिन व्रती को स्नानादि करके निम्न मंत्र द्वारा संकल्प लेना चाहिए। ॐ विष्णु: विष्णु: विष्णु:------मम सर्वकर्मसिद्द्ये सिद्धिविनायक पूजन महं करिष्ये। संकल्प के उपरांत निम्न पूजन की तैयारी करनी चाहिए:-

एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर उसमें मिट्टी, धातू, सोने अथवा चांदी की मूर्ति, ध्यान आवाहन के बाद रखनी चाहिए। "ऊं गं गणपतये नम:" कहते हुये उपरोक्त पूजन सामग्री गणेशजी पर चढ़ायें। एक पान के पत्ते पर सिन्दूर में हल्का सा घी मिलाकर स्वास्तिक चिन्ह बनायें, उसके मध्य में कलावा से पूरी तरह लिपटी हुई सुपारी रख दें। इन्हीं को गणपति मानकर एवं मिट्टी की प्रतिमा भी साथ में रखकर पूजन करें, गणेश जी के लिए मोतीचूर का लड्डू (5 अथवा 21) अवश्य चढ़ायें। लड्डू के साथ गेहूं का परवल अवश्य चढ़ायें, धान का लावा, सत्तू, गन्ने के टुकड़, नारियल, तिल एवं पके हुये केले का भी भोग लगायें। अन्त में देशी घी में मिलकार हवन सामग्री के साथ हवन करें एवं अन्त में गणेशजी की प्रतिमा के विसर्जन का विधान करना उत्तम माना गया है।

अति विशेष:-
1. गणेशजी की पूजा सायं काल की जानी चाहिए, पूजनोपरान्त नीची नजऱ से चन्द्रमा को अर्ध्य देकर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
2. घर में तीन गणेशजी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
3. यदि चन्द्र दर्शन हो जायें तो मुक्ति के लिए "हरिवंश भागवतोक्त स्यमन्तक मणि के आख्यान" का पाठ भी करना चाहिए।