मैनेजमेंट गुरू गणपित को अनुशासन का प्रतीक और कम समय में अच्छा काम करना वाले मानते हैं और वे यह भी मानते हैं कि गणेश जी का अनुशासन ही था कि मां के आदेश के पालन में जान जोखिम में डाल दी आखिर भगवान गणेश में ऐसी कौन सी शक्ति है जो लोगों को अपनी ओर खींच लेती है भगवान गणेश के गुण ही हैं जो बिगड़े काम को पूरा करने में सहायक होते हैं। जरूरत है गुणों को पहचानने की और उन्हें अपने जीवन में उतारने की।

वृश्चिक लग्न में करें स्थापना

ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडे के अनुसार प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की प्रतिमा की स्थापना का शुभ मुहूर्त सोमवार को 11 बजकर 8 मिनट से लेकर 1 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इस कालखंड में गणेश पूजन करना चाहिए तत्पश्चात स्थापना अन्य समय पर भी की जा सकती है। जिन पंडालों या जिन घरों में पहली बार गणपति की स्थापना हो रही है उन्हें वृश्चिक लग्न में ही 11:08 से 1:25 तक पूजन कर लेना चाहिए अनय पंडालों में अपनी सुविधा के अनुसार मुहूर्त का चयन करना चाहिए

सायं काल 5:24 से 6:30 तक मुहूर्त है अन्य मुहूर्त रात्रि काल 10:30 से 11:58 तक रहेगा

भगवान गणेश का जन्म वृश्चिक लग्न में हुआ था अतः वृश्चिक लग्न में स्थापना करना या कम से कम पूजन करना अत्यंत ही आवश्यक होता है।

भद्रा का दोष नहीं

गणेश चतुर्थी की शाम को भद्रा प्रारंभ होगी दोपहर 3:22 से प्रारंभ होकर कर रात्रि में 1: 54 मिनट तक भद्रा रहेगी, किंतु प्रथम पूज्य गणपति आगमन पर भद्रा का कोई दोष नहीं माना जाता है शिव पुराण के अनुसार गजानन का जहां भी आगमन हो जाता है वहां सभी नकारात्मक दोष स्वयं ही समाप्त हो जाते हैं। महोत्सव के पहले दिन गणपति के आगमन से भद्रा का असर खत्म हो जाएगा।

गणेश पूजा कैसे करें

ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडे के अनुसार भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना को पूजन का महत्वपूर्ण अंग माना गया है इसमें थोड़ी सी चूक हो जाने से अक्सर पूजन पूर्ण नहीं हो पाता है। यदि आप घर में गणपति की स्थापना कर रहे हैं तो इस तरह से करें कि पूजन करने वाले का मुख उत्तर व पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। स्थापना से पहले पूजन करने वाले व्यक्ति के घर के सदस्य अपने ऊपर थोड़ा सा गंगाजल या किसी पवित्र सरोवर का जल छिड़कने और उसके बाद जिस स्थान पर चौकी रखनी है उस पर मांगलिक चिह्न बनाएं। चिह्न बनाने के बाद एक चौकी स्थापित करें, चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं, उसके बाद प्रतिमा रखने के दाहिनी ओर एक दीपक प्रज्वलित करें, इसके बाद पान सुपारी रोली चावल रखकर संकल्प करें और कहें कि प्रभु आप हमारे पूजन को स्वीकार करें इसके बाद प्रतिमा पर जल का छिड़काव करें, तत्पश्चात वस्त्र जनेऊ रोली मोली पहनाकर तिलक करें। तत्पश्चात मिष्ठान फल, पान, सुपारी, लौंग व इलाइची चढ़ाकर आरती करें और पूजन के अंत में क्षमा प्रार्थना करते हुए भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों का आवाहन करें।

-दीपक पांडेय