रखपुर (सैय्यद सायम रऊफ)। मोहनदास करमचंद गांधी के नाम पर गोरखपुर में एक होटल भी मौजूद है। वीर अब्दुल हमीद रोड बक्शीपुर एक मीनारा मस्जिद स्थित गांधी मुस्लिम होटल का नाम गांधी होटल था। होटल के मालिक अहमद रजा खान ने बताया कि दादा गुलाम कादिर बताते थे कि यह होटल जंगे आजादी की याद समेटे हैं। 8 फरवरी, 1921 को महात्मा गांधी गोरखपुर पहुंचे। बाले मियां के मैदान बहरामपुर में जनता को संबोधित किया। जब महात्मा गांधी बाले मैदान जा रहे थे कुछ देर के लिए कांग्रेसियों ने यहां उनका स्वागत किया तब से यह टी स्टॉल गांधी जी के नाम से मशहूर हो गया।
बिस्मिल पुस्तकालय में रखी है मेज-कुर्सी
बिस्मिल पुस्तकालय सिविल लाइन के संस्थापक श्यामानन्द श्रीवास्तव ने बताया कि विंध्यवासिनी प्रसाद वर्मा उस समय के जाने-माने अगुआ नेता थे। जो बाद में नगरपालिका के चेयरमैन व विधायक भी हुए। महात्मा गांधी के ऐतिहासिक भाषण के लिए कोई मंच नहीं बना था। वहां पहले से ही एक ऊंची जगह थी, जिसे मंच के रूप मे इस्तेमाल किया गया। महात्मा गांधी के लिए यह मेज उस मंच पर पहुंचाया गया। वह उनके आवास 'सूरत सदन' पर भी गए और एक लेटर भी लिखा। विंध्यवासिनी प्रसाद वर्मा ने इसे उनका आशीर्वाद मानकर सुरक्षित रखा।
गोरखपुर के राष्ट्र प्रेम और मेहमान नवाजी से हुए प्रभावित
जब पंडित जवाहर लाल नेहरू गोरखपुर आए तो उन्हें यह मेज दिखाया गया। वह गोरखपुर के राष्ट्र प्रेम और मेहमान नवाजी से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने इस मेज को इस्तेमाल करते समय विंध्यवासिनी प्रसाद के पुत्र से कहा कि ये मेज आजादी की लड़ाई का गवाह है, गोरखपुर की धरोहर है। इसे सम्भाल कर रखना। यह मेज सिविल लाईन स्थित, बिस्मिल भवन पर 1970 में रखा गया। बिस्मिल समाचार पत्र के सम्पादक ने इसे बिस्मिल पुस्तकालय में संरक्षित रखने के आश्वासन पर यह ऐतिहासिक मेज बिस्मिल भवन में सुरक्षित रखवा दिया। आज भी यह इस्तेमाल होता है। ये मेज आज भी हम सबको प्रेरणा दे रहा है।
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