साउथ अफ्रीका में खादी
नई दिल्ली (प्रेट्र)। 7 जून, 1893 को महात्मा गांधी को नस्लीय भेदभाव के चलते साउथ अफ्रका की ट्रेन से पीटरमैरिट्सबर्ग रेलवे स्टेशन पर धक्के मारकर उतार दिया गया था। उसी ऐतिहासिक पल की याद में उस रेलवे स्टेशन और ट्रेनों की कॉम्पार्टमेंट में हाथ से बुने खादी का इस्तेमाल किया जायेगा। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) को 400 मीटर खादी (लंबाई 40-50 मीटर और चौड़ाई 36 इंच होगी) का ऑर्डर मिला है, जिसका उपयोग रेल डिब्बे, प्लेटफॉर्म के कुछ हिस्सों और अन्य जगहों पर लगाए जाने के लिए किया जायेगा।
भव्य कार्यक्रम का आयोजन
केवीआईसी के मुताबिक, साउथ अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के कारण ट्रेन के डिब्बे से 7 जून, 1893 को गांधी जी को निकाले जाने की 125 वीं वर्षगांठ के मौके पर एक समारोह का भी आयोजन किया जा रहा है। केवीआईसी ने बताया कि इस मौके पर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी कार्यक्रम में शामिल होंगी। इसे भव्य रूप से आयोजित किया जायेगा, ताकि साउथ अफ्रीका के इतिहास में भी इसे याद रखा जा सके।
अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के दौरान किया इस्तेमाल
खादी और चरखा हमारी आजादी की लड़ाई का कितना प्रमुख हिस्सा रहे हैं यह बताने की जरूरत नहीं है। हमारी दो-तीन बुनियादी जरूरतों में एक, वस्त्र की इस लड़ाई को गांधी ने टिकाऊ और विकेंद्रित विकास के साथ जोड़ा था। बता दें कि खादी को अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में एक उपकरण के रूप में उपयोग किया था। इतना ही नहीं गांधी ने खुद तो उस समय इसे पहना ही उसके साथ ही साथ लगभग पूरे देश को खादी पहना दिया। उन्होंनें खादी पहनने को शान की चीज़ बना दिया।
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