कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। New Parliament Building : भारत के न्यू पार्लियामेंट हाउस यानी कि नए संसद भवन की चर्चा देश ही नहीं विदेश तक है। न्यू पार्लियामेंट हाउस बेहद खूबसूरत व यूनीक बनाया गया है। यहां आज मंगलवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर संसदीय प्रोसिडिंग शुरू हो रही है। इस संसद भवन में एक दो नहीं बल्कि छह गेट यानी कि द्वार बनाए गए हैं। खास बात तो यह है कि इनके नाम प्राणियों के नाम पर रखे गए हैं, जिनमें से कुछ वास्तविक और कुछ पौराणिक हैं। इनके नाम गज द्वार, अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, मकर द्वार, शार्दुला द्वार और हंस द्वार है। बतादें कि इस न्यू पार्लियामेंट हाउस का इनाॅग्रेशन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।

गज द्वार
गज द्वार को उत्तरी औपचारिक प्रवेश द्वार पर रखा गया है और इसका नाम हाथी के नाम पर रखा गया है, जो स्मृति, बुद्धि, धन और ज्ञान का प्रतीक है। मौर्य काल से ही भारतीय कला में हाथी के रूपांकनों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता रहा है। महलों और किलों के प्रवेश द्वारों पर आमतौर पर हाथियों का चित्र होता है। राजस्थान और अन्य स्थानों के किलों में यह आज भी दिखता है।

अश्व द्वार
अश्व द्वार का नाम घोड़े के नाम पर रखा गया है और यह कोणार्क के सूर्य मंदिर परिसर से प्रेरित है, जिसे पूर्वी गंगा राजवंश के नरसिम्हादेव प्रथम द्वारा लगभग 1250 ई.पू. में स्थापित किया गया था। यह शक्ति और साहस का प्रतीक है जिनकी शासन व्यवस्था में आवश्यकता होती है।


गरुड़ द्वार
नए संसद भवन के तीसरे प्रवेश द्वार का नाम पक्षियों के राजा गरुड़ के नाम पर रखा गया है। गुप्तकालीन सिक्कों पर गरुड़ विष्णु के साथ दिखाई देते हैं। यह शक्ति और धर्म का प्रतीक है।

मकर द्वार
मकर द्वार का नाम एक समुद्री जीव के नाम पर रखा गया है जो विभिन्न जानवरों का एक कांबिनेशन है। पश्चिमी सार्वजनिक प्रवेश द्वार पर लगी मूर्ति कर्नाटक के हलेबिदु में 12वीं सदी के होयसलेश्वर मंदिर से प्रेरित है।

शार्दूल द्वार
नए संसद भवन के पांचवें द्वार का नाम एक अन्य प्राणी शार्दुल के नाम पर रखा गया है, जो एक पौराणिक प्राणी है जिसका शरीर तो शेर का होता है लेकिन सिर घोड़े, हाथी या तोते का होता है। यह शक्ति और अनुग्रह के संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है।


हंस द्वार
नए संसद भवन का छठा द्वार हंस द्वार है जिसका नाम हंस के नाम पर रखा गया है। यह प्रतिमा 15वीं शताब्दी के विजय विट्ठल मंदिर, हम्पी, कर्नाटक से प्रेरित है। हंस द्वार आत्म-बोध और ज्ञान का प्रतीक है। कथित तौर पर, हंस को अक्सर विजयनगर वास्तुकला में स्तंभों पर सजावटी रूपांकनों के रूप में उपयोग किया जाता है।

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