राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने विधेयक पर हस्ताक्षार करते हुए कहा, “मैंने फ़ैसला कर लिया है, और ज़रूरत है कि मुल्क को क़ानून का सम्मान किया जाए.”
इससे पहले शुक्रवार को सवैंधानिक परिषद ने दक्षिणपंथी विपक्षी पार्टी यूएमपी की ऐसी शादियों पर उठाए गए ऐतराज़ को खारिज कर दिया था.
परिषद का कहना था कि समान लिंग में शादी “सांवैधानिक मूल्यों के ख़िलाफ़ नहीं है” और न ही यह “आज़ादी के मूल अधिकार का उल्लंघन करती है और न ही देश की संप्रभुता के खिलाफ़ है.”
फ्रांस में समलैंगिक समूहों ने नए कानून पर ख़ुशी जताई है और कहा है कि हज़ारों जोड़े शादी के लिए इंतज़ार कर रहे हैं.
यह कहा जा रहा है कि समलैंगिक शादियों को मान्यता मिलने से गोद लिए जाने वाले बच्चों को अधिकार स्वाभाविक रूप से मिल जाएंगे.
फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोला सरकोज़ी की दक्षिणपंथी पार्टी यूएमपी समलैंगिक शादियों का विरोध करती रही है. उनके दल को कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट दोनों चर्चों का समर्थन प्राप्त है.
समलैंगिक शादी के विरोधियों का कहना है कि राष्ट्रपति ओलांद ने समलैंगिक शादियों को निजी मुद्दा बना लिया था क्योंकि वह अन्य मोर्चों पर असफल रहे हैं, ख़ासतौर पर आर्थिक मोर्चे पर.
हाल के वर्षों के फ्रांसीसी राष्ट्रपतियों में फ्रांस्वा ओलांद की लोकप्रियता फिलहाल सबसे कम है. देश मंदी के ख़तरे से उबरा नहीं है, बेरोज़गारी 10 प्रतिशत से ज़्यादा है और नई सरकार के आर्थिक सुधार के वायदे पूरे होते नज़र नहीं आ रहे हैं.
विरोधियों का कहना है कि समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से समाज के आधार स्तंभ ही ढह जाएंगे. समलैंगिक शादियों को मान्यता दिए जाने के विरोध में जनवरी में हुए पेरिस में प्रदर्शन में करीब तीन लाख के अधिक लोग शामिल हुए थे.
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