गूगल का कहना है कि ''इस फ़ैसले पर उन सभी लोगों को चिंतित होना चाहिए जो अभिव्यक्ति की आज़ादी के पैरोकार हैं.''
फ्रांस की मीडिया के मुताबिक़ गूगल इसके ख़िलाफ़ अपील करेगी.
इससे पहले मोसली 2008 में ब्रिटेन के बंद हो चुके अख़बार न्यूज़ ऑफ़ द वर्ल्ड को उनके ख़िलाफ़ छापी गई एक ख़बर के लिए अदालत में घसीट चुके हैं. निजता भंग करने संबंधी इस मामले में उन्हे जीत हासिल हुई थी.
न्यूज़ ऑफ द वर्ल्ड ने गुपचुप तरीक़े से मोसली का वीडियो बनाया था जिसमें वो पांच सेक्स वर्कर के साथ नज़र आ रहे हैं. इसे पहले पन्ने पर छापा गया था.
इसके लिए मोसली को 5 लाख से ऊपर का हर्जाना मिला था. कोर्ट ने फैसला दिया कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि उन्होने नाज़ी थीम का इस्तेमाल किया और उनकी निजता भंग हुई है.
पुन: प्रकाशन
फ्रासं में साल 2011 में इसी तरह का एक और फ़ैसला मोसली के पक्ष में गया जब एक जज ने आदेश दिया कि अख़बार की मालिक कंपनी न्यूज़ कॉर्प को तकरीबन 28 लाख रूपए चुकाने होंगे क्योंकि अख़बार की प्रतियां चैनल में बांटी गई हैं.
मोसली ने 2011 में ही बताया था कि खोज नतीजों को लेकर जर्मनी और फ्रांस में गूगल के ख़िलाफ़ वो क़ानूनी कार्यवाई कर रहे हैं.
मोसली ने जानकारी दी कि वह ''केस बाय केस'' यानी अलग अलग नतीजों के आधार पर गूगल लिंक हटाने के लिए तैयार हो गया है.
हालांकि उनका कहना था कि जब उन्होने कंपनी से कहा कि वह तकनीकी आधार पर ऐसे प्रबंध करें कि उनसे जुड़ी ये सामग्री खोज में बिल्कुल दिखाई ही ना दे तो कंपनी ने ''सैद्धांतिक आधार'' पर ऐसा करने से मना कर दिया जबकि तकनीकी तौर पर यह संभव था.
मोसली ने अपने विचार रखते हुए कहा था कि ''आप इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि अगर किसी ने ऐसी तस्वीर ले ली है जो नहीं लेनी चाहिए और उसे वेब पर डाल दिया है तो वो हमेशा के लिए वहां रहेगी जब तक क़ानूनी क़दम ना उठाया जाए.
जैसे ही एक सर्च इंजन को ये पता चलता है कि यह हर किसो को हासिल है और जिसे आपने क़ानूनी चुनौती दी है और जीता है,उसे बार बार प्रकाशित किया जाता है. साफ़ तौर पर उसे रोका जा सकता है और मेरी राय में रोका जाना चाहिए.''
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