पोस्ट ग्रेजुएट संकाय का ग्राफ कम
बिहार के बेहतर विकास के लिए सीएम जीतन राम मांझी प्रयासरत रहते हैं. वर्तमान में बिहार में 4.05 लाख ग्रेजुएट स्तर तक अध्ययनरत इन तीनों वर्ग के छात्र एवं छात्राएं हैं, पर पोस्ट ग्रेजुएट संकाय में इनकी संख्या सिर्फ 10870 है. जिससे यह प्रदेश के विकास को लेकर चिंता का विषय है. ऐसे में प्रगति की दिशा की ओर कदम बढ़ाते हुए उन्होंने वहां पर पोस्ट ग्रेजुएट तक की शिक्षा एससी-एसटी और छात्राओं के लिए निशुल्क कर दी है. जिससे कि उम्मीद की जा रही है कि अब बिहार में पोस्ट ग्रेजुएट स्तर का ग्राफ बढ़ सकेगा.
कोई शुल्क नहीं होगा लागू
जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के प्रधान सचिव बी प्रधान ने बताया कि मंत्रिपरिषद राज्य की यूनिवर्सिटीज में सामान्य कोर्सों में एससी-एसटी और छात्राओं को पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर तक शिक्षा में नामांकन के समय से प्रत्येक स्तर पर किसी प्रकार के शुल्क नहीं लिए जाने को मंजूरी प्रदान कर दी है. उन्हे अब हर विषय की शिक्षा पूरी तरह से निशुल्क मिलेगी.
29 करोड़ रुपए का भार
इसके अलावा सबसे खास बात तो यह है कि मंत्रिपरिषद ने यूनिवर्सिटीज और स्कूलों को आर्थिक क्षतिपूर्ति का भरोसा दिलाया है. मंत्रिपरिषद ने कहा है कि निशुल्क शिक्षा की योजना से होने वाली आर्थिक क्षति की पूर्ति अगले वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा कराई जाएगी. जानकारी के मुताबिक इस नयी योजना से राजकीय कोष पर हर साल 29 करोड़ रुपए का भार आएगा. इसके अलावा इसका लाभ करीब 4 चार लाख एससी-एसटी समुदाय और छात्राओं को मिलेगा और वे शिक्षित हो सकेंगे.
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