महत्वपूर्ण मामलों के असाइनमेंट में पक्षपात
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलमेश्वर के नेतृत्व में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस बी लूकर ने अचानक प्रेस कांफ्रेंस कर दुनिया भर को चकित कर दिया। उनका आरोप था कि सुप्रीम कोर्ट में सामूहिक रूप से फैसले लेने की परंपरा रही है। लेकिन अब इससे किनारा किया जा रहा है। महत्वपूर्ण मामले खास पसंद की बेंच को असाइन किए जा रहे हैं। इस भेदभावपूर्ण रवैए से न्यायपालिका की छवि खराब हुई है। ऐसे मामले जिनसे सुप्रीम कोर्ट की अखंडता प्रभावित होती है उनके असाइनमेंट में पक्षपात हो रहा है।
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प्रेस कांफ्रेंस की महत्वपूर्ण 8 बातें
1- देश की आजादी के बाद यह सब संविधान इतिहास में पहली बार हो रहा है।
2- किसी भी देश में लोकतंत्र के जीवन के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका जरूरी है।
3- पिछले कुछ महीनों से सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन में अनियमितता यानी 'नॉट इन ऑर्डर' थी।
4- हमारे पास देश से सीधे बात करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था।
5- न्यायपालिका की गरिमा के खारित हम चारों ने सुप्रीम कोर्ट की प्रशासनिक अनियमितता पर सीजेआई को खत लिखा था।
6- हमने सीजेआई से मिलकर भी बात की लेकिन वे नहीं माने।
7- हम चारों ये कतई नहीं चाहते कि 20 साल बाद हम पर कोई आरोप लगाया जाए कि हमने अपना ईमान बेच दिया था।
8- यह पूछने पर कि आप सीजेआई पर आरोप लगा रहे हैं तो उनका जवाब था हम उन पर कोई आरोप नहीं लगा रहे।
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जस्टिस जे चेलमेश्वर सहित चार जस्टिस द्वारा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लिखा 7 पन्नों का वो खत (मूल प्रति)
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