मुंबई (पीटीआई)। पूर्व भारतीय वायुसेना अधिकारी गुंजन सक्सेना, जिनके जीवन पर बेस्ड फिल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' बनाई गई है। उनका कहना है कि वह काफी भाग्यशाली थीं कि उन्हें भारतीय वायु सेना में अधिकारियों का समर्थन मिला लेकिन जब भी कोई बड़ा बदलाव होता है एक संगठन में कुछ व्यक्तियों को दूसरों की तुलना में एडजेस्ट करने में अधिक समय लगता है। सक्सेना की यह प्रतिक्रिया तब आई, जब भारतीय वायु सेना ने सेंसर बोर्ड को लेटर लिखकर फिल्म में आईएएफ की छवि खराब करने का आरोप लगाया।
कुछ लोगों को एडजेस्ट करने में समय लगता है
गुंजन सक्सेना, जो 1999 के कारगिल युद्ध में भाग लेने वाली पहली महिला पायलट बनीं। उन्होंने कहा कि एक संगठन में अच्छा या खराब माहौल है तो इसके पीछे अलग-अलग सोच के व्यक्ति होते हैं। गुंजन कहती हैं, 'जब भी आप किसी भी तरह के वातावरण में होते हैं, तो विभिन्न प्रकार के व्यक्ति होते हैं जो उस माहौल को बनाते हैं, इसलिए जब कोई बड़ा परिवर्तन हो रहा है, तो इनमें से कुछ व्यक्ति इस परिवर्तन को दूसरों की तुलना में अधिक आसानी से स्वीकार करने के लिए तैयार हैं और कुछ को अधिक समय लगता है।'
एयरफोर्स अधिकारियों ने हमेशा किया सपोर्ट
एयरफोर्स में अपनी जर्नी को लेकर गुंजन कहती हैं, 'मुझे लगता है कि मैं हमेशा भाग्यशाली रही। मुझे हर किसी ने सपोर्ट किया। बात चाहे घर की हो या इंडियन एयर फोर्स की। मेरे सपने को आगे बढ़ाने के लिए दोनों जगहों पर मुझे समर्थन मिला। यह सौभाग्य की बात है। वह कहती हैं, 'जब भी किसी भी संगठन या किसी भी क्षेत्र में उस मामले के लिए एक बड़ा बदलाव हो रहा है, तो यह कभी आसान नहीं होता है - मुसीबतें होती हैं।'
उन्होंने कहा कि वह अपने साथी अधिकारियों, पर्यवेक्षकों और कमांडिंग अधिकारियों की आभारी हैं, जिन्होंने उनकी हर मुश्किल परिस्थिति में मदद की।'
पुरुष और महिला ट्रेनी के बीच कोई अंतर नहीं
सक्सेना ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय वायुसेना में अधिकारियों ने कभी पुरुष और महिला ट्रेनी के बीच अंतर नहीं किया। गुंजन ने कहा, '
यहां तक कि जब हमने फ्लाइट की ट्रेनिंग लेना शुरू किया, तब भी महिला कैडेट या प्रशिक्षु के रूप में हमें जो पहला पाठ दिया गया था, वह यह था कि विमान को पता नहीं है और यह अंतर नहीं करता है कि उड़ान भरने वाला व्यक्ति पुरुष है या महिला। तो प्रशिक्षकों ने हमें बताया कि वे अंतर नहीं करने जा रहे हैं चाहे वह एक महिला प्रशिक्षु या पुरुष प्रशिक्षु हो और वे हमें समान स्तर का प्रशिक्षण देने जा रहे हैं और हमारे लिए भी वही मानक निर्धारित करेंगे।'
फिल्म बनने पर गर्व है
सक्सेना ने कहा कि उन्हें अपने जीवन पर बनी फिल्म पर गर्व है और उम्मीद है कि यह युवा लड़कियों को अपने सपनों के बाद निडर होकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। वह कहती हैं, 'मुझे उम्मीद है कि यह कहानी सभी युवा भारतीयों, विशेष रूप से युवा लड़कियों को निडर होने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें सपने देखने के लिए प्रोत्साहित करती है।" शरण शर्मा द्वारा निर्देशित और धर्मा प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित, "गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल" में पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह और मानव विज भी हैं।
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