वैसे फिल्म देखकर लगता है कि कामत जैसे सेंसिटिव और एक्सपेरिमेंटल फिल्ममेकर ने ये ठीक ही किया .एसीपी यशवर्धन (जॉन अब्राहम)एक ईमानदार ऑफिसर है. वह रोमांटिक बातों में ध्यान भटकाना नहीं चाहता. तभी माया (जेनेलिया) आती है, और हां, हिंदी फिल्म के एक रेयर चांस में माया यश को बताती है कि वो उसे प्यार करना चाहती है. इसके बीच में एक ट्विस्ट है सुपर स्मार्ट अपोनेंट (विद्युत जामवाल) जो कि ड्रग डीलर्स का लीडर बनना चाहता है.
रीसेंटली पुलिस और विलेंस वाली कई फिल्में आई हैं. इसके बाद भी, अच्छी फिल्म तो अच्छी ही होती है. फोर्स आपको शुरू से आखिरी तक बांधे रखती है. फिर चाहे वो एक्शन सीक्वेंसेज के थ्रू हो या दो लवबड्र्स के बीच रोमांस के थ्रू.
कामत ने इस जोशीली फिल्म में रिएलिटी लाने की पूरी कोशिश की है. ये फिल्म जॉन मैथ्यू मथान की पिछली हिट कॉप फिल्म सरफरोश की ही तरह अच्छी है. लेकिन मथान के पास आमिर खान को ऐज एसीपी राठौर लेने का एडवांटेज था. आप इस एसीपी को राठौर से कम्पेयर नहीं कर सकते, इसके बावजूद जॉन ने इसमें बहुत ही सिंसियर एफर्ट लगाया है.
फिल्म के विलेन जामवाल कोई वायलेंट विलेन नहीं बल्कि एक नॉर्मल कॉटन की शर्ट और जींस पहनने वाला इंसान है, ठीक वैसे ही जैसे सैकड़ों क्रिमिनल आजकल हमारे आस-पास हैं. एक्शन सीक्वेंसेज गजब के हैं और थैंकगॉड माइंडलेस नहीं हैं. टोटल पैसा वसूल फिल्म है.
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