युवाओं की हौसलाअफजाई
पेले का कहना है कि पेले सिर्फ एक ही होगा क्योंकि उनके माता-पिता दूसरा पेले पैदा नहीं कर सकते। हर खिलाड़ी अलग और बेमिसाल होता है। इसी तरह मैराडोना, जिदाने या बैकनबाउर जैसा भी कोई नहीं होगा। ब्लैक पर्ल के नाम से मशहूर पेले तीन विश्व कप और एक बार फीफा के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार जीत चुके हैं। करियर में उन्होंने 1283 गोल किए। पेले ने पहली बार 1958 विश्व कप में 17 साल की उम्र में खेला था। उसके बाद 1962 और 1970 में ट्रॉफी जीती।
हमेशा के लिए बदल गई
पूर्व फुटबॉलर का यह भी कहना है कि उन्होंने अपना बचपन स्थानीय टूर्नामेंट खेलते बिताया जिस पर वाल्डेमार डी ब्रिटो ने मेरी प्रतिभा को पहचाना। ब्रिटो ने उन्हें सांतोस एफसी के लिए खेलने का मौका दिया जिससे उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। उन्होंने 20 साल क्लब के साथ बिताए। पेले ने कहा कि भारत जैसे देश के लिए सुब्रतो कप की तरह टूर्नामेंट जरूरी है, जिससे युवाओं की हौसलाअफजाई होती है। उन्होंने कहा- युवाओं को सक्रिय और स्वस्थ रखने का सर्वश्रेष्ठ तरीका खेल है। युवाओं के लिए होने वाले टूर्नामेंटों से उन्हें अपने कौशल को निखारने , कोचों और साथियों से सीखने और नए दोस्त बनाने का मौका मिलता है।
मेहनत के बारे में बताएंगे
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