मैं दिल्ली का रहने वाला हूं और मेरा बचपन दिल्ली के घर में ही बीता। हम जिस घर में रहते थे, उसके ठीक अपोजिट एक हलवाई की दुकान थी। अब जब हलवाई की दुकान सामने हो तो भला कौन वहां से आने वाली खुशबू से दूर रह सकता है। हमारी ज्यादातर शामों का नाश्ता समोसे और जलेबी ही हुआ करते थे। क्योंकि मैं घर में छोटा था इसलिए मुझे खुद जाकर वो सब लाना बहुत इंटरेस्टिंग लगता था। हर शाम मैं वहां जाकर हलवाई को बहुत ध्यान से जलेबियों को गोल-गोल घुमाते हुए कढ़ाई में डालते हुए देखा करता था। मैं सोचता कि इस तरह से जलेबी बनाना कितना फन है लेकिन कभी हिम्मत नहीं होती कि उससे कभी पूछूं। एप्पल जलेबी ऐसी ही एक रेसिपी है जो उस हलवाई को ट्रियूट है जिसने मुझे इस डिश को रीइनवेंट करने के लिए इंस्पायर किया। वैसे सिर्फ ये डिश ही नहीं बल्कि ज्यादातर डिशेज कहीं न कहीं किसी चीज से इंस्पायर्ड होती हैं। कोई किसी डिश का मॉडिफाइड फॉर्म होता है तो कोई री-इनवेंशन। अब जैसे कि मैं पंजाबी हूं और इसीलिए पंजाबी खाने से मेरा खास लगाव है।
पक्का पंजाबी होने की वजह से मैं दही और चीनी से कभी इनकार नहीं कर सकता। एक वक्त था जब सुबह के नाश्ते में पराठों के साथ ज्यादातर चीनी वाला दही ही हुआ करता था। हर तरह के पराठे, चाहे वो अजवायन के हों या आलू के, मैं उन्हें मीठे दही में डिप करके ही खाता था। वो एक तरह का एडिक्शन था और इसे रोक पाना बहुत ही मुश्किल था मेरे लिए। घर से ही तो हर इंसान कुछ नया करना सीखता है।
अपनी डिशेज का साथ एक्सपेरिमेंट करना भी मैंने वहीं से सीखा है। जैसे फेस्टिवल्स के टाइम पर तो घर में मिठाइयों का तांता लग जाता था। कुछ मिठाइयां जैसे ढोढा बर्फी को तो मेरे घर समेत ज्यादातर घरों में अवॉयड कर दिया जाता है। लेकिन इसमें इस मिठाई का क्या दोष। इसलिए मैंने एक बार इसके साथ भी एक्सपेरिमेंट कर डाला। और उसके रिजल्ट से भी काफी सरप्राइज्ड था मैं। मेरे फादर का भी इस इनवेंशन में इंपॉर्टेंट रोल है। जब हम छोटे थे तो वो सदिर्यों में बर्फी को गर्म करके, उसमें थोड़ा घी मिलाकर और कुछ मेवे डालकर मुझे और मेरी बहन को दिया करते थे और हम रजाई में बैठकर, टीवी देखते हुए इसका मजा लेते थे। इस तरह के एक्सपेरिमेंट्स, जिनमें हमारे किचन के देसी इंग्रेडिएंट्स शामिल होते हैं, इन्हें बनाना कंपैरिटिवली आसान होता है क्योंकि इंग्रेडिएंट्स जाने पहचाने होते हैं।
लेकिन जो खाने के शौकीन होते हैं, वो जहां भी जाते हैं, वहां की खास डिशेज जरूर ट्राई करना चाहते हैं। मैं अपनी बात करूं तो मैं भी ट्रैवल के दौरान किसी भी जगह के कल्चर और उनके टेस्ट को एक्सप्लोर करता हूं, फिर वो चाहे फ्रेंच हो, इटैलियन, मेक्सिकन, थाई वगैरह वगैरह और इन अराउंड द वल्र्ड डिशेज को इंडियन कंपोनेंट्स के साथ तैयार करना, अपने आप में काफी इंटरेस्टिंग है। जैसे पैनाकोटा एक इटैलियन डेजर्ट है जो वनिला फ्लेवर्ड होता है। लेकिन मैंने इस डेजर्ट को देसी पान और सुपारी डालकर और भी इंटेंस फ्लेवर दे दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि जब किसी डिश में अपने फेवरिट इंग्रेडिएंट्स हों तो उसे खाने का मजा दोगुना हो जाता है। इसी तरह से टार्ट भी मेरे दिल के बेहद करीब हैं। कनेक्शन तो इसका भी फ्रेंच है लेकिन मैं इसे हर फॉर्म में सर्व करना पसंद करता हूं। वहीं घर पर मौजूद लेफ्टओवर इंग्रेडिएंट्स या डिशेज से एक नई रेसिपी तैयार करना भी कम इंटरेस्टिंग काम नहीं होता, जैसे क्विश। कहने को तो ये एक फ्रेंच डिश है लेकिन हम बची हुई ब्रेड और कुछ सिजयों के साथ इसे ईजिली तैयार कर सकते हैं।
पर कहीं भी घूम आओ, क्योंकि हम इंडियन हैं तो जाहिर सी बात है कि इंडियन फ्लेवर्स हमें सबसे ज्यादा अट्रैक्ट करते हैं। जैसे कि हैदराबादी खाना। हमारे देसी खाने की एक और खासियत है इसके खुशबूदार मसाले। इनकी खुशबू ही तो हमें अपनी ओर खींचती हैं और शायद इसीलिए हम सुनते आए हैं कि खाना वो नहीं जिससे सिर्फ पेट भरे बल्कि वो है जो मन खुश कर दे।
कुणाल कपूर
कुणाल कपूर एक इंडियन सेलिब्रिटी शेफ और रेस्ट्रॉन्टर हैं। दिल्ली की एक पंजाबी फैमिली में जन्मे कुणाल को टीवी शो मास्टर शेफ से पॉपुलैरिटी मिली। कुणाल की खासियत है उनकी फ्यूजन रेसिपीज। दुनिया की किसी भी रेसिपी में वो देसी तड़का लगा ही देते हैं।
In conversation with Kratika Agrawal
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