बताया गया त्रेता युग का
लोगों ने जब गंगा की धारा में पत्थर को तैरते हुए देखा तो वो हैरान थे और उनको विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ऐसा भी पॉसिब्ल है। लेकिन जब उन्होंने उस पत्थर को करीब से देखा तो उन्होंने पाया कि उसमें भगवान श्रीराम का नाम लिखा था। देखते ही देखते इस तैरते पत्थर को देखने के लिए वहां लोगों की भारी भीड़ इकठ्ठा हो गई। गंगा नदी में इस भारी भरकम पत्थर को तैरता देख लोगों ने इसे रामसेतु का पत्थर बताया। पुराणों में बताया गया है कि जब भगवान राम लंका जा रहे थे तो समुद्र में पत्थरों का पुल बनाया गया था। जिसमे नल और नील की अहम भूमिका थी। वानर सेना पत्थरों में श्रीराम लिखते थे और नल, नील उन पत्थरों को समुद्र में फेंकते और पत्थर तैरते रहते थे। इस वीडियो में देखे कि कैसे ये पत्थर पानी में तैर रहा है।
हनुमान मंदिर में कि गई स्थापना
घटना की जानकारी मिलते ही गंगा घाट के पास बने हनुमान मंदिर के महंत श्री चैतन्य प्रकाश ब्रह्मचारी ने पत्थर को गंगा नदी से निकाला और उसको मंदिर में स्थापित कर दिया। जहां लोग उसकी पूजा-अर्चना करने लगे। मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्रित है जो एक बार इस पत्थर के दर्शन करना चाहते हैं।
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