कानपुर। गुजरात के नर्मदा में बनी सरदार पटेल की सबसे ऊंची विश्वस्तरीय मूर्ति हो या फिर लोकसभा में पीएम मोदी और राहुल गांधी के बीच झप्पी वाला प्रकरण। सीबीआई के आला अफसरों के बीच जंग हो या फिर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले। ऐसे ही तमाम मुद्दे और खबरें देश दुनिया में सुर्खियां बनी रहीं। अब जब यह साल ढलने की कगार पर है तो कुछ चर्चित मामलों पर एक नजर...
मूर्तियों का बोलबाला
साल 2018 में मूर्तियों का बोलबाला रहा। इनमें पहला नंबर आता है, गुजरात के नर्मदा जिले में बनी सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का। यह मूर्ति 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' (93 मीटर) से करीब दोगुनी ऊंची है। दिलचस्प पहलू यह है कि अब देश के विभिन्न राज्यों में इससे भी ऊंची मूर्तियां बनाने की होड़ मच गई है। इनमें मुंबई के अरब सागर में प्रस्तावित 212 मीटर ऊंचा छत्रपति शिवाजी का स्टैच्यू प्रमुख है। इसके अलावा गांधी नगर में भगवान बुद्ध (80 फीट), अयोध्या में भगवान राम (151 मीटर) की मूर्तियां भी शामिल हैं।
राहुल-मोदी की झप्पी
लोकसभा में पीएम मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच हुई 'मीठी तकरार' चर्चा का विषय बनी रही। मीठी इसलिए क्योंकि पहले राहुल गांधी का पीएम मोदी के जबर्दस्ती गले पडऩा, फिर अपनी सीट पर बैठकर आंख मिचकाना और उसके बाद पीएम ने जिस तरह उन पर कटाक्ष किया, उस घटना पर सदन में ठहाके लगे ही, देशवासियों ने भी खूब चटकारे लिए। इस घटना पर कई मजेदार कार्टून, वीडियोज और मेमे भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए
आरबीआई चीफ उर्जित पटेल का इस्तीफा
साल का सबसे चर्चित मामला रहा। उर्जित ने इस्तीफे की वजह निजी कारणों को बताया है, लेकिन चर्चा है कि इसके पीछे आरबीआई की स्वायत्तता है। कहा जा रहा था कि सरकार आरबीआई एक्ट की धारा-7 के तहत अपने विशेषाधिकार को लागू करने की तैयारी में थी, जिसे रिजर्व बैंक की स्वायत्ता में हस्तक्षेप माना गया। यह भी कहा गया कि सरकार रिजर्व बैंक से 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए की मांग कर रही थी, जिसका आरबीआई ने विरोध किया है
सुप्रीम कोर्ट : 3 तलाक, एडल्ट्री, धारा-377
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने ट्रिपल तलाक, एडल्ट्री और धारा-377 केस में ऐतिहासिक फैसले दिए। इस फैसले से एक साथ तीन तलाक पर पीडि़त मुस्लिम महिलाओं को कानूनी कार्रवाई का अधिकार दिया। एडल्ट्री यानी 'पति-पत्नी और वो' के रिश्ते को भी शीर्ष अदालत ने अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। इसके तहत कोर्ट ने आईपीसी की धारा 497 में अडल्टरी को अपराध बताने वाले प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने धारा-377 यानी समलैंगिकता को भी अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सहमति से समलैंगिक संबंध बनाए जाने पर इसे अपराध नहीं माना जाएगा।
सीबीआई वर्सेज सीबीआई
संस्था के चीफ आलोक वर्मा और नंबर-2 अफसर राकेश अस्थाना के बीच मचे घमासान ने सीबीआई की साख पर बट्टा लगा दिया। संस्था की धूमिल होती छवि को देखकर मोदी सरकार ने दोनों टॉप अफसरों को अधिकारों से वंचित करते हुए लंबी छुट्टी पर भेज दिया। जबकि कुछ अफसरों का ट्रांसफर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई की तो केंद्र ने कहा कि दोनों अफसर बिल्लियों की तरह लड़ रहे थे। इसलिए एक्शन लेना पड़ा। इसके बाद शीर्ष अदालत से भी वर्मा और अस्थाना को राहत नहीं मिली है।
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