बाहों में चले आओ
यहां बात अपने साथी को बाहों में भरने की नहीं हो रही है वो तो आप गाहे बगाहे करते रहते हैं। हम बात कर रहें उसको उसकी कमियों के साथ बाहों में समेट लेने की ख्वाहिश की। जब आप किसी रिलेशन में कदम रखते हैं तो शुरूआत में तो एक दूसरे की कमियां कम और खासियतें ज्यादा दिखती हैं। पर वक्त बीतने के साथ जब आप एक दूसरे को जानने लगते हैं तब कमियां और खूबियां साफ झलकने लगती हैं। यही वो खास मोड़ हैं जब आप को इस पुरानी कहावत को याद करना पड़ता है कि कोई भी पर फेक्ट नहीं होता तो जो जैसा है वैसा ही आप उसे प्यार करें। कमियों को बतायें पर प्यार से उन्हें स्वीकारते हुए कि सामने वाला जैसा भी है सिर्फ मेरा है।
जैसे हो वैसे रहना
नाटक का पर्दा गिरना लाजिमी हैं तो कभी आपने पार्टनर के सामने अपना असली चेहरा छुपा कर ना रखें। रूड ना हों पर स्पष्टवादी बनें और जैसे हें वैसे ही अपने को प्रेजेंट करें। आप की सोच आपके व्यक्तिव का हिस्सा है उसे अपने से अलग करेंगे तो खो जायेंगे। तो बच्चों से लेकर रिश्ते में आपकी जगह तक हर बात पर अपना व्यू एकदम साफ रखें। बेशक एक ही बार सब कोड ऑफ कंडक्ट की तरह ना बता दें। पर हर मामले पर आपका नजरिया स्पष्ट होना चाहिए। हुक्म ना चलायें पर गुलामी भी ना करें। अपनी बात कहें और दूसरे की सुनें।
हौले हौले साजना धीरे बालमा हम भी पीछे हैं तुम्हारे
जी हां रिश्ता प्यार से बनता है हड़बड़ी और जल्दबाजी से नहीं। आज मिले, कल प्यार, परसों शादी और फिर बच्चे ये कोई आफफिस का प्रोजेक्ट नहीं प्यार भरा रिश्ता है उसे समय दीजिए और इसके हर दौर को इंज्वॉय करते हुए एक दूसरे को समझिए फिर आहिस्ता से अगले स्टेप पर कदम रखिए। ऐसा ना हो कि आपकी जल्दी में आपका साथी पीछे छूट जाए और रास्ता बदल ले।
दो कदम हम चलें दो कदम तुम चलो
संतुलन रिश्ते के टिके रहने का आधार है। आप अपना मुकाम बनाये रखें और सामने वाले को इतना स्पेस दें कि वो अपनी जगह बनाये रखें। रिश्ते के बने रहने के लिए दोनों साथियों के बराबरी की जमीन पर खड़े रहना जरूरी है एक आराम से फैल जाए और दूसरा पैर भी मुश्किल से टिका पाए तो वो रिश्ता बहुत दूर तक नहीं जायेगा ये याद रखें। तो अपनी ख्वाहिशें जाहिर कीजिए और उसे पूरा भी कीजिए पर दूसरे को अपनी पसंद पूरी करने का मौका जरूर दीजिए।
कुछ तु कहो कुछ हम कहें
एक दूसरे से बातें करते रहिए। अपने दिल की बातें कहते सुनते रहिए। कभी आपकी बात आपके साथी को पसंद नहीं भी आयेंगी, कभी आपको उसकी बात अच्छी नहीं लगेगी पर इससे क्या। बात बंद मत करिए क्योंकि ऐसे तो आप कभी जान ही नहीं सकेंगे कि सामने वाला क्या चाहता है और ना ही उसे पता लगेगा कि आपको क्या अच्छा या बुरा लगा। नतीजा दरार और फिर रिश्ता खत्म।
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