1-थल सेना में 5 स्टार रैंक पाने वाले अधिकारी को फील्ड मार्शल कहा जाता है। इनकी अपना झंडा होता है। वह लाल रंग का होता है जिस पर अशोक की लाट वाली फील्ड मार्शल रैंक चिह्न और 5 स्टार बने होते हैं। फील्ड मार्शल के वाहन की पहचान के लिए उनकी कार पर लाल रंग की प्लेट पर 5 स्टार बने होते हैं। जब वे सेना की वर्दी पहनते हैं तो कंधे पर अशोक की लाट वाली फील्ड मार्शल की रैंक पहनते हैं और कॉलर पर लाल रंग की पट्टी पर 5 स्टार लगाते हैं। फील्ड मार्शल का सबसे आकर्षण उसका स्वर्ण जडि़त लाल रंग का बैटन होता है, जिसपर सेना के चिह्न के साथ-साथ 5 स्टार भी जड़े होते हैं।
2- सेना में इस रैंक से अब तक दो जनरल सम्मानित हो चुके हैं। जनरल एसएचएफजे मानेकशॉ जिन्हें लोग अकसर सैम मानेकशॉ के नाम से बुलाते थे। लेकिन वे सैम बहादुर के नाम से विख्यात थे। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वे सेनाध्यक्ष थे। बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने में उनकी बेहतरीन रणनीति और युद्ध कौशल को कौन भूल सकता है। उनकी सैन्य सेवाओं और महती योगदान को देखते हुए पीएम इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने उन्हें 1973 में फील्ड मार्शल की उपाधि से सम्मानित किया। सेना के तीनों अंगों में वे पहले ऐसे जनरल थे जिन्हें यह सम्मान मिला। वह भी नियमित सेवा के दौरान ही उन्हें यह प्रोन्नति दी गई थी।
3- जनरल केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले भारतीय सेनाध्यक्ष थे। 1947 में उनके नेतृत्व में ही भारत-पाक युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में उनके योगदान के लिए 1986 में फील्ड मार्शल की उपाधि से सम्मानित किया गया। मानेकशॉ के बाद इस 5 स्टार रैंक से सम्मानित होने वाले वे दूसरे जनरल थे। फील्ड मार्शल करियप्पा ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी ज्वाइन की थी। ब्रिटिश इंडियन आर्मी में उन्हें कई रेजीमेंट में ट्रांसफर किया गया जो सिलसिला आजादी के बाद तक चलता रहा। आखिर में उनकी पेरेंट रेजीमेंट 1/7 राजपूत रेजीमेंट रही।
4- वायुसेना में 5 स्टार रैंक को मार्शल ऑफ द एयरफोर्स कहा जाता है। इस अधिकारी की गाड़ी का फ्लैग वायुसेना के रंग स्काई ब्लू कलर का होता है, जिसपर भारतीय वायुसेना के चिह्न के साथ 5 स्टार बने होते हैं। मार्शल ऑफ द एयरफोर्स की कार की पहचान के लिए स्काई ब्लू कलर प्लेट पर 5 स्टार बने होते हैं। जब यह अधिकारी वायुसेना की वर्दी पहनता है तो कंधे पर मार्शल ऑफ द एयरफोर्स की रैंक पहनने के साथ कॉलर पर गहरे नीले रंग की पट्टी पर 5 स्टार भी लगाता है। वायुसेना के इस सबसे बड़े अधिकारी का मुख्य आकर्षण बैटन स्वर्ण जडि़त स्काई ब्लू कलर का होता है। इस पर भारतीय वायुसेना के चिह्न के साथ 5 सितारे जड़े होते हैं।
5- एयर चीफ मार्शल अर्जन सिंह 1964 से 1969 तक वायुसेना अध्यक्ष रहे थे। उन्होंने न सिर्फ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा के दुश्मनों के दांत खट्टे किए बल्कि 1965 के दौरान भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान में घुसकर उसके अहम हवाई अड्डों को तबाह करने की सफल रणनीति भी बनाई। वायुसेना से रिटायर होने के बाद वे राजदूत, उच्चायुक्त और 1989 से 1990 के बीच दिल्ली के उप राज्यपाल भी रह चुके थे। वायुसेना में उनके अतुलनीय योगदान को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने 2002 में उन्हें मार्शल ऑफ द एयर फोर्स के ओहदे से सम्मानित किया। वायुसेना में वे 5 स्टार रैंक से सम्मानित होने वाले पहले और तीनों सेनाओं में तीसरे सेनाध्यक्ष थे। ध्यान रहे कि इनसे पहले थलसेना के दो सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और फील्ड मार्शल केएम करियप्पा को यह सम्मान मिल चुका था।
6- नौसेना में 5 स्टार रैंक को एडमिरल ऑफ द फ्लीट कहा जाता है। अभी तक किसी नौसेनाध्यक्ष को यह सम्मान नहीं मिला है। इस रैंक के अधिकारी का अपना एक फ्लैग होता है जो सफेद रंग का होता है जिस पर नेवी ब्लू कलर का बार्डर होता है और नौसेना के चिह्न के साथ 5 स्टार बना होता है। नौसेना के इस सर्वोच्च अधिकारी की कार की पहचान के लिए नेवी ब्लू प्लेट पर 5 स्टार बने होते हैं। यह अधिकारी नौसेना की वर्दी के साथ कंधे पर एडमिरल ऑफ द फ्लीट की रैंक पहनता है और कॉलर पर सुनहरे रंग की पट्टी पर 5 स्टार लगाता है। इस अधिकारी के लिए भी स्वर्ण जडि़त बैटन होता है जिसका रंग नेवी ब्लू होता है। इसमें नौसेना के चिह्न के साथ 5 स्टार जड़े होते हैं।
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