भाषाई ज्ञान न होने से बोलने में असमर्थ:

शरणार्थियों में सबसे पहली समस्या भाषा की आती है। जरूरी नहीं कि उन्हें जिस किसी क्षेत्र में उन्हें शरण मिलती है, वहां की भाषा आती हो। कई बार तो ऐसे देशों में पहुंच जाते हैं जहां पर मुख्य तौर पर अंग्रेजी भाषा का चलन होता है। जिसे सीखना उनके लिए बड़ा ही मुश्िकल होता है। ऐसे में भाषा की समस्या के चलते वे न दूसरों की बात समझ पाते हैं और न समझा पाते हैं। जिससे उन्हें भोजन खरीदने से अपने इलाज तक में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

दुनिया में 5 शरणार्थी समस्‍याएं जो कर रही मानवता को शर्मसार

रहने के लिए सुरक्षित आवास न होना:

शरणार्थियों के लिए एक निश्चित आवास न होना भी एक बड़ी समस्या है। कई बार मजबूरी में कई परिवारों को एक साथ एक बड़े कमरे में गुजारा करना पड़ता है। शरणार्थियों का आवास आदि के लिए भी काफी शोषण होता है। कई बार उनके मकान मालिक उनसे जरूरत से ज्यादा शुल्क वसूलते हैं। नियम कानून का ज्ञान न होने से वह मजबूरी में सब सह रहे होते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि पता नहीं कब मालिक उन्हें यहां रहने के लिए मना कर दे।

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बच्चों को शिक्षित करना भी बड़ा टास्क:

कई बार देखा जाता है कि शरणार्थी जिस देश में रह रहे होते हैं। वे अपने बच्चों को वहीं के हिसाब से शिक्षा-शिक्षा दिलाते हैं। इस दौरान बच्चे वहीं स्कूल के माहौल से एडजस्ट होने लगते हैं। इस दौरान बच्चों को स्कूल और घर में दो अलग-अलग स्थितियों से गुजरना पड़ना है। इसके अलावा बच्चों को समाज में भी काफी भेदभाव झेलना पड़ता है। वहीं इतना कुछ होने के बाद जब वे कहीं और जाते हैं तो उन्हें फिर से समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

 

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गैर-दस्तावेज से रोजगार मिलना मुश्िकल:

शरणार्थियों के लिए अक्सर दूसरी जगहों पर जाकर रहने में सबसे बड़ी समस्या उनके दस्तावेज का वहां मान्य न होना होता है। इस समस्या से शरणार्थियों को रोजगार मिलना मुश्किल होता है। जिसके चलते वे कई बार भुखमरी की कगार पर भी पहुंच जाते हैं। सही से खान-पान न मिलने से उनके बच्चे बीमार व कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। शरणार्थियों को सही से ज्ञान न होने की वजह से  हिंसा, बलात्कार जैसी दूसरी यातनाओं का सामना करना पड़ता है।

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सांस्कृतिक बाधाएं और धार्मिक विषमताएं:

अक्सर शरणार्थियों को इस समस्या से भी बड़े स्तर पर जूझना पड़ता है। कई परेशानियों के बाद भी अपने धर्म और संस्कृति के मुताबिक चलने की कोशिश करते हैं। वहीं अक्सर उन्हें उस स्थानीय संस्कृति के हिसाब से रहने को कहा जाता है। जो लोग मान जाते हैं उन्हें तो कोई परेशानी नहीं होती हैं लेकिन जो लोग नहीं मानते हैं उन्हें भी दूसरे तरीकों से विवश किया जाता है। कई बार उन्हें वहां भेजने की भी कोशिश होती है जिस जगह से वे आए होते हैं।

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