वे कई प्रमुख अखबारों से जुड़े रहे और अपने करियर में नौ प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल पर कभी तीखे तो कभी हास्यप्रद कार्टून बना कर मनोरंजन भी करते रहे और भारतीय राजनीति पर दमदार टिप्पणी भी।
उनके कुछ कार्टून राजनीतिक परिदृश्य में हमेशा प्रासंगिक हैं और रहेंगे।
उनके चुनिंदा कार्टून-
इस कार्टून बात यूं है कि कक्षा में नकल चल रही है। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह लिख रहे हैं-सामाजिक न्याय, रोज़गार, स्थिरता। फिर राजीव गांधी लिख रहे हैं- स्थिरता, रोटी रोज़ी, राम रहीम। और फिर भाजपा नेता आडवाणी भी नकल कर लिख रहे हैं- राम रोटी, इंसाफ, स्थिरता।
भारतीय राजनीति में देश में स्थिरता लाने का वादा आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना इन नेताओं के समय में था।
कार्टून में जयाललिता के बोझ तल दबे हुए अटल बिहारी बाजपेयी से आडवाणी जी कह रहे हैं- याद रखिएगा अटल जी!हम किसी दबाब के सामने घुटने नहीं टेकेंगे!
जयललिता का दबाब आज भी तमिलनाडु के नेता बर्दाश्त नहीं कर सकते!
घर तो बनाया आडवाणी जी ने और नाम की तख्ती लगा रहे हैं मोदी जी!
भारतीय जनता पार्टी की भीतरी राजनीति और मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर इससे सटीक टिप्पणी नहीं हो सकती।
पार्टी दफ्तर के गार्ड फोन पर बता रहे हैं, "सोनिया जी पार्टी को संबोधित कर रही हैं, प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं और वित्तमंत्री मीडिया से मुखातिब हैं।" तभी दूसरे गार्ड कह उठते हैं-"उम्मीद है कि कोई समस्या पर भी ध्यान दे रहा है!"
राजनेता अक्सर देश और दल को संबोधित करते करते असल समस्या को दरकिनार कर देते हैं!
टीवी पत्रकार आम जन से पूछ रही है, "गृहमंत्री, एक मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री को पद से हटा दिया गया है। अब आप क्या कुछ सुरक्षित महसूस कर रहे हैं?"
तब महिला जबाब देती है, "नहीं, अभी बहुत से और मंत्री हैं जिनसे हमें डर लगता है!"
कहना ना होगा कि आम जनता में मंत्रियों की छवि कुछ ऐसी ही रही है।
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