कानपुर। 10 मई की तारीख भारत के इतिहास में एक खास दिन है। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार, भारत में अंग्रेजों के खिलाफ पहला स्वतंत्रता संग्राम 10 मई, 1857 को ही छिड़ा था। इसकी शुरुआत मेरठ से हुई और यह दिल्ली, आगरा, कानपुर और लखनऊ तक फैल गई। वैसे तो कई बड़े नायकों ने आजादी की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभाई लेकिन भारत में अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले मोर्चा खोलने वाले मंगल पांडेय थे। इन्होंने मार्च 1857 के उत्तरार्ध में बैरकपुर में सैन्य चौकी पर ब्रिटिश अधिकारियों पर हमला किया। उन्हें अप्रैल की शुरुआत में अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और फिर उन्हें मार दिया। इस बात को लेकर मेरठ में बड़ा संग्राम शुरू हो गया। 10 मई 1857 को मेरठ के तीनों रेजीमेंट के बहादुर सिपाहियों ने खुली बगावत का झंडा उठाकर दिल्ली कूच किया। इसमें महिलाओं ने भी सहयोग किया था। श्रीमती आशा देवी गुर्जर-पति सैनिक विद्रोह में शामिल थे तो आशा ने महिलाओं की टोलियां बनाकर 13 और 14 मई को कैराना और शामली की तहसील पर हमला बोल दिया था। इस मौके पर हम स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले हमारे पांच वीर नायकों के बारे में बताने जा रहे हैं।
मंगल पांडेय
मंगल पांडेय का जन्म 19 जुलाई, 1827 को भारत के अकबरपुर में हुआ था। 29 मार्च, 1857 को इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एक ब्रिटिश अधिकारी पर हमला कर दिया था। भारत की स्वतंत्रता में इनकी अहम भूमिका मानी जाती है।
नाना साहेब
1857-58 के बीच अंग्रेजों से चली लड़ाई में भारत के वीर नायक नाना साहब की भूमिका बहुत खास थी। यह स्वंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता थे। इन्होने उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित बिठूर से अपनी लड़ाई शुरू की थी।
बहादुर शाह जफर
अंग्रेजों से चली लड़ाई में आखिरी मुगल बादशाह बहादुशाह जफर ने भी हिस्सा लिया था। इनके विद्रोह के चलते गोरी सरकार के हाथ-पैर फूल गए थे। अंग्रेजों के खिलाफ हिन्दू-मुसलमान मिलकर लड़े थे। उनका नेतृत्व दिल्ली में बहादुरशाह जफर ने ही किया था।
रानी लक्ष्मीबाई
आजादी की लड़ाई में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के योगदानों को भी नहीं भूला जा सकता है। झांसी को बचाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने बागियों की फौज तैयार की और करीब 14000 बागियों की सेना के साथ उन्होंने 1858 में अग्रेजों से डट कर मुकाबला किया।
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वीर कुंवर सिंह
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ हिस्सा लेने वालों में वीर नायक वीर कुंवर सिंह भी थे। 23 अप्रैल, 1857 को उन्होंने जगदीशपुर के अपने किले पर फतह पाई थी और ब्रिटिश झंडे को उतारकर अपना झंडा फहराया था। उससे एक दिन पहले यानि 22 तारीख को उन्होंने युद्ध शुरू किया था।
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