ऐक्टर के तौर पर काम करने वाली सूसन की उम्र 23 साल है और वो अफगानिस्तान की पहली महिला रैपर बनने जा रही हैं.

उनका पहला गाना सीधे अफ़गानिस्तान के लोगों को संबोधित है और वो शरणार्थी के तौर पर अपने दर्द को बयां करती हैं.

उनके गाने का शीर्षक है ‘हमारे पड़ोसी’. इस गाने को उनके संगीत अध्यापक और अफ़गानिस्तान के जाने-माने संगीतकार फ़रीद रस्तगर ने संगीतबद्ध किया है. उन्होंने एक कवि से इस गाने के बोल लिखवाए हैं.

 

इस गाने में युद्ध और दर्द की बात है फिर भी ये उम्मीद और विद्रोह की बात करता है.

गाने के बोल हैं, “जब हमारे देश में युद्ध था तो हर ओर गोलियां थी, बमबारी थी, हमारे सभी पेड़ जल गए थे. जंग ने हमें देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. लेकिन हमने उम्मीद छोड़ी नहीं है. हम अपने पड़ोसियों को कहते हैं हमें अकेला छोड़ दो.”

सूसन फिरोज़ दारी भाषा में गाती हैं जो अफ़गानिस्तान की दो मुख्य भाषाओं में से एक है.

तालिबान का डर

संगीतकार फरीद रस्तगर कहते हैं कि अफगानिस्तान के जो युवा देश को बदलना चाहते हैं, संगीत उन्हें प्रेरित कर सकता है.

तो सूसन ने रैपर बनने की क्यों ठानी, इस सवाल के जवाब में सूसन कहती हैं, “मैंने अफगानिस्तान के कई और रैपरों को सुना है और उन्हें सूनने के बाद मुझे लगा कि मैं भी अपनी भावनाए रैप गीत गाकर कर सकती हूं. मैं भी अपनी सभी दुखभरी कहानियां एक शांतीपूर्वक तरीके से रैप कर सकती हूं. शुरू करने से पहले मैंने अपने पिता से अनुमति ली और उन्होंने हां कर दी.”

लेकिन सूसन का ये फैसला उनकी आर्थिक ज़रुरत से भी जुड़ा हुआ है. सात साल पहले पाकिस्तान से लौटने के बाद उनका परिवार उन्हें स्कूल नहीं भेज सकता था.

सूसन को काम ढूंढना पड़ा, उन्होंने एक दर्जी के तौर पर शुरुआत की और जब उनका परिवार काबुल आया तो उन्होंने एक्टिंग का पेशा अपना लिया. वो अब एक्टिंग कर अपने परिवार को सहारा देती हैं.

लेकिन रैप गायक होने में आज भी खतरा है. सूसन कहती हैं, “मेरा परिवार मुझे पूरा सहयोग देता है और उन्हें मुझपर गर्व है. हालांकि कुछ लोग हैं जो मुझे फोन करके धमकी देते हैं और कहते हैं कि मैंने अपना काम ऐसे ही जारी रखा तो वो मेरे चेहरे पर तेज़ाब फेंक देंगे. लेकिन मुझे कोई डर नहीं है मै गाना जारी रखूंगी.”

सूसन की योजना हैं कि अगर वो पैसा जुटा पाई तो वो अपने देश में महिलाओं का पहला रैप बैंड बनाना चाहती हैं, हालांकि ये इतना आसान नहीं होगा.

सूसन के पिता अब्दुल ग़फ़्फ़ार फिरोज़ ने अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और अब अपनी बेटी की देखभाल करते हैं. वो उन्हें स्टूडियो लेकर जाते हैं ताकि उनकी बेटी सुरक्षित रहे.

स्टूडियों में अपनी बेटी की रिकॉर्डिंग देख रहे फिरोज़ अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर चिंतित भी है, “हां कभी कभी मुझे अपनी बेटी की चिंता होती है लेकिन सूसन एक बहादुर लड़की है. मैं अपनी बेटी को कहता हूं कि धमकियों की परवाह ना करे और अपना गाना जारी रखें.”

सूसन चाहती हैं कि वो अफगानिस्तान में ही रहें ताकि वो अपना संदेश अपने देश और अपने देश से बाहर फैला सके.

 

 

 

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