कानपुर। एशिया के पहले न्यूक्लीयर रिएक्टर को 'अप्सरा' कहा जाता है। यह 4 अगस्त,1956 को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के ट्रॉम्बे परिसर में बना था। BARC की वेबसाइट के मुताबिक तत्काल पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने औपचारिक रूप से 20 जनवरी, 1957 को इसका उद्धाटन किया था।
बार्क ने बनाई रिएक्टर की डिजाइन
अप्सरा भारत के रिसर्च रिएक्टरों में सबसे पुराना है। इसे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) द्वारा डिजाइन किया गया था और यूनाइटेड किंगडम की सहायता से बनाया गया था। उस समय इसके डायरेक्टर होमी जहांगीर भाभा थे। होमी जहांगीर को भारत में न्यूक्लीयर एनर्जी का जनक कहा जाता है।
रिएक्टर का ईंधन यूके से आता था
अप्सरा लाइट वाटर स्विमिंग पूल-टाइप रिएक्टर है जिसमें अधिकतम वन मेगावॉट थर्मल (MWt) का बिजली उत्पादन होता था। एनटीअाई ओआरजी मुताबिक रिएक्टर की भट्ठी में एलमूनियम-यूरेनियम की मिश्र धातु से तैयार प्लेटों को जलाकर ऊर्जा पैदा होती थी।इसके लिए ईंधन यूके से आता था।
2010 में यह रिएक्टर बंद हो गया
रिएक्टर के लिए ईंधन की आपूर्ति को लेकर यूनाइटेड किंगडम से एक डील हुई थी। अप्सरा रिएक्टर में रेडियो आइसोटोप का उत्पादन भी किया जाता था। हालांकि 2010 में यह रिएक्टर बंद हो गया था और इसके अपग्रेड रिएक्टर अप्सरा-उन्नत का परिचालन 10 सितंबर, 2018 में शुरू हुआ था।
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