क्या है स्वास्थ्य अधिकारी का कहना
इसको लेकर विशेषज्ञ दक्षिण पूर्व गिनी में उस क्षेत्र की पड़ताल करने में लगे हुए हैं, जहां दो साल का एमिली ओआमौनो एक साल पहले बीमार हुआ था. उसके बाद उसकी मौत हो गई. इसको लेकर स्वास्थ्य अधिकारी कहते हैं कि इबोला बीमारी का वह पहला मामला था. इसके बारे में पहले बिल्कुल भी पता नहीं चल पाया था.

पश्चिम अफ्रीका में अब तक गई 8000 लोगों की जान
अपने अध्ययन को लेकर बीते दिन वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने चमगादड़ों की जांच की, लेकिन उनमें इबोला वायरस नहीं मिला. इसके बाद भी उनका मानना यही है कि बच्चों में यह वायरस चमगादड़ों से ही आया है जो उस खोखले से पेड़ पर ही रहते थे, जहां पर वह बच्चा खेल रहा था. गौरतलब है कि विश्व इतिहास में इबोला अब तक की सबसे खतरनाक बीमारी मानी जा रही है. इसकी वजह से इस साल पूरे पश्चिम अफ्रीका में करीब 8,000 लोगों की जान जा चुकी है. बीमारी होने के मूल स्थान के बारे में तो अभी तक पता नहीं लग पाया है, लेकिन लगता ऐसा ही है कि पशु पक्षियों के जरिए ही यह वायरस लोगों तक पहुंचता है.

विशेषज्ञों की अलग-अलग राय
वहीं दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञों को चमगादड़ की कुछ प्रजातियों पर संदेह है. वहीं कुछ को लगता है कि पश्चिम अफ्रीका की यह बीमारी चमगादड़ के संक्रमण से चिम्पैंजी या छोटे हिरणों में पहुंची और इनका मांस खाने से वायरस इंसानों तक पहुंचा है.

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