इंडिया में मूवी सेंसरशिप लॉ 1918 में इंट्रोड्यूस हुआ था. इसके बाद एक ऐसी जूरी डिसाइड की गयी जो फिल्मू में आब्जेक्शेनल कंटेट को चेक करने, उसे चेंज या रिमूव करने के बारे में अपना डिसीजन करती थी. 1920 में रिलीज हुई 'ऑरफनस ऑफ स्ट्रॉम'फर्स्ट ऐसी फिल्म थी जिसे इंडियन सेंसरशिप एक्ट 1918 के अंडर सेंसर कट्स के साथ रिलीज करने की परमीशन मिली थी.
इसके बाद 1021 में रिलीज हुई 'भक्त प्रहलाद', जो ऐसी फिल्म बनी जिसे सेंसर कंट्रोवर्सी में फंसने के कारण बैन कर दिया गया. इसके बाद से ही फिल्मसमेकर्स में सेंसरशिप और क्रिएटिविटी को लेकर परमानेंट डिबेट चालू हो गयी. लेकिन अब तक किसी फिल्म को प्रॉपर एडल्ट ओनली का सर्टिफिकेट नहीं मिला था.
इसके बाद 1929 में रिलीज हुई फिल्म 'सोशल ईवल', ये एक किस्म का सोशल डॉक्यु ड्रामा था. जिसमें यूथ्स की सेक्सुअल प्राब्लम्स के लिए उन्हें गाइडेंस अवेलेबल कराने की कोशिश की गयी थी. बेशक ये फिल्म एक डॉक्यु ड्रामा थी लेकिन पहली बार ए सर्टिफिकेट दिए जाने के कारण ऐसा माना जाता है कि 'सोशल ईवल' ही वो पहली फिल्म है जिसे सेंसर ने एडल्ट सर्टिफिकेट इश्यू किया. हांलाकि सेंसर सर्टिफिकेट के लिए जिस फिल्म की सबसे ज्यादा चर्चा हुई और इसी वजह से शायद फिल्म हिट भी हुई वो थी 1970 में आयी फिल्म 'चेतना'.
'चेतना' के डायरेक्टर बी आर इशारा ने इस फिल्म में प्रॉस्टीट्यूटस के रिहैबिलिटेशन का सेंसटीव इश्यू उठाया था. जिस वजह से काफी कंट्रोवर्सी हुई और फिल्म को ए सर्टिफिकेट दिया गया. इशारा ने सर्टिफिकेट के A मार्क को भी पोस्टर में यूज किया और फिल्म की लीड एक्ट्रेस रिहाना सुल्तान के लेग्स को A शेप में दिखाया. फिल्म तो हिट हो गयी लेकिन ऐसे रोल्स के लिए टाइप कास्ट होने के कारण रेहाना का करियर खत्म हो गया.
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