क्यों बदला गया नाम
फीफा विश्व कप की शुरुआत 1930 में उरुग्वे में हुई थी. जहां पहली बार इस ट्रॉफी को दुनिया के सामने लाया गया था और होम टीम उरुग्वे ने ही पहली बार फीफा जीत कर उठाया था. फीफा की इस ट्रॉफी का असल में नाम विक्ट्री था जो कि ग्रीक की देवी 'विक्ट्री' के नाम पर रखा गया था. ये ट्रॉफी चांदी की बनी हुई थी जिसके ऊपर गोल्ड प्लेटिंग थी. हालांकि बाद में फीफा के फॉर्मर प्रेसीडेंट के सम्मान में इसका नाम बदल कर 'जूल्स रिमट' रखा गया.
दो ट्रॉफियां
फीफा की शुरुआत 1930 में हुई और तब से लेकर अब तक फीफा विश्व कप जीतने वाली टीम को प्रेजेन्ट करने के लिए दो ट्रॉफी रखी गई हैं. 1930 से लेकर 1970 तक इसका नाम जूल्स रिमट रखा गया. 1970 में हुए फीफा विश्व कप में ब्राजील ने जीत हासिल की और वहीं से बदलाव का दौर भी शुरु हुआ. ट्रॉफी जीतने के बाद ब्राजील ने इस ट्रॉफी को बदलने का काम शुरु किया और 1974 के बाद से इसका नाम फीफा वलर्ड कप ट्रॉफी रखा गया जो कि अभी तक कायम है.
नाजियों के डर से जूते के डिब्बे में भेजी गई
1938 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ट्रॉफी विजेता इटली को सौंपी गई. दूसरे विश्व युद्घ में ट्रॉफी को नाजियों के द्वारा हड़प ले जाने के डर से इटली फीफा के वाइस प्रेसीडेंट ओटोरिनो बर्रास्सी ने चुप-चाप ट्रॉफी को एक जूते के डब्बे में डाल कर रोम भेज दिया था. 20 मार्च, 1966 का दिन फीफा की दुनिया में काफी मशहूर है. 1966 फीफा विश्व कप इंग्लैंड में खेला जाना था और टूर्नामेंट के शुरु होने से चार महीने पहले ट्रॉफी वेस्ट मिनिस्टर सैंट्रल हॉल में पब्लिक एक्सहीबिशन के लिए रखी गई और वहां से चोरी हो गई. लेकिन चोरी होने के सात दिन बाद ही ट्रॉफी एक गार्डन में अखबार में रेप पाई गई. फीफा की सबसे पूरानी ट्रॉफी जूल्स रिमट की 1983 में एक बार फिर चोरी हुई और इसके बाद ट्रॉफी को आज तक किसी ने नहीं देखा.
कैसी है ये ट्रॉफी
फीफा वलर्ड कप ट्रॉफी दुनिया के सामने पहली बार 1974 फीफा विश्व कप में लाई गई. इस ट्रॉफी का वजन 6.1 कि.ग्रा है और ये प्योर 18 कैरेट गोल्ड से बनाई गई थी. इसको बनाने के पहले कई बार इसकी डिजाइन को चेंज किया गया और फाइनली स्टैब्लिमेंटो आर्टिस्टिको बर्टोनी नाम की कंपनी की डिजाइन को चूज किया गया. ट्रॉफी की इस डिजाइन में दो मानव दुनिया को हाथों में लिए हुए हैं. फिलहाल ये ट्रॉफी फीफा 2010 की विनिंग टीम स्पेन के पास है