3 साल का प्रोजेक्ट, 224 करोड़ बजट
नई दिल्ली (प्रेट्र)। दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने लोकसभा में कहा कि टेलीकॉम टेक्नोलॉजी में देश की क्षमता बढ़ाने और इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी बनाने के लिए सरकार ने 5जी टेस्टिंग के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) को आर्थिक सहायता की मंजूरी दी है। इस परियोजना के तहत ये संस्थान मिलकर 5जी हाई स्पीड मोबाइल टेक्नोलॉजी पर शोध करेंगे। दूरसंचार मंत्री ने लोकसभा में एक सवाल का लिखित जवाब में यह सब बताया। 224 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए 3 साल का समय दिया गया है।
परियोजना में 8 संस्थान करेंगे काम
दूरसंचार मंत्री ने बताया कि इस परियोजना में 8 संस्थाएं मिलकर काम करेंगी। इनमें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी (सीईडब्ल्यूआईटी), आईआईटी बांबे, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी मद्रास, आईआईटी कानपुर, आईआईएससी बंगलुरू और सोसाइटी फॉर अप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (समीर) शामिल हैं। ये सभी संस्थाएं एकसाथ मिलकर देश में हाई स्पीड मोबाइल ब्राडबैंक टेक्नोलॉजी पर काम करेंगे। ध्यान रहे कि दूरसंचार सचिव ने कहा था कि यह परियोजना डिजिटल इंडिया के लिए अहम है।
हाई फ्रिक्वेंसी खाली करें कंपनियां
सरकार ने मोबाइल कंपनियों से कहा है कि वे 6 महीने के भीतर 5जी के लिए हाई फ्रिक्वेंसी खाली कर दें। खाली करने वाली फ्रिक्वेंसी बैंड 3300-3400 मेगाहर्टज है, जिसे 5जी मोबाइल सेवाओं के लिए प्रयोग किया जाना है। डिपार्टमेंट ऑफ टेक्नोलॉजी (डॉट) ने 27 मार्च को एक नोटिस जारी करके इस बैंड को खाली करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को छह महीने का वक्त दिया है। जिन कंपनियों को नोटिस दिया गया उनमें टाटा कम्युनिकेशंस, भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, डिशनेट वायरलेस (एयरसेल) और ओएनजीसी शामिल हैं।
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