फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ की कहानी चार महिलाओं के इर्द-गिर्द है। जिसमें एक बुर्का पहनने वाली कॉलेज गर्ल है। एक यंग ब्यूटीशियन है। एक तीन बच्चों की मां हैं। टोकियो फिल्म फेस्टिबल में ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ बनाने के लिये अलंकृता को सम्मानित किया गया था।
फिल्म में महिलाओं की जिंदगी को थोड़ा करीब से दिखाया गया है। अलंकृता बताती हैं कि उन्होंने देहरादून के वेलहम गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई की है। उन्होंने शुरु में ही बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया था। जहां उन्होंने बचपन में ही फेमेनिज्म को सीख और समझ लिया था।
अलंकृता कहती हैं कि उनकी मां बहुत स्ट्रांग महिला थीं। जिस पर वो दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसा करती हैं। अलंकृता ने महिलाओं के ऊपर कई वर्कशॉप की हैं। जहां उन्होंने महिलओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया। स्कूलिंग खत्म करने के बाद उन्होंने दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से अपनी पढ़ाई की।
अलंकृता ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही महिलाओं को सीखना और समझना शुरु कर दिया था। अलंकृता ने साल 2005 में फिल्म अपहरण के जरिये बॉलीवुड में कदम रखा था। अलंकृता इस फिल्म की चीफ असिसटेंट डॉयरेक्टर थीं।
साल 2007 में खोया खोया चांद और दिल दोस्ती इटीसी की एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर बनी। 2010 में उन्होंने फिल्म राजनीति में एसोसियेट डॉयरेक्टर की भूमिका अदा की। 2011 में अलंकृता ने टर्निंग 30 फिल्म को लिखा और फिर उसे डॉयरेक्ट किया। 2016 में अलंकृता ने लिपस्टिक अंडर माई बुरका की कहानी लिखी और फिर इसे डॉयरेक्ट किया। अलंकृता डॉयरेक्टर प्रकाश झा की भतीजी हैं।
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