1. दुनिया के किसी देश पर लंबे समय तक राज करने वाले तीसरे नेता फिदेल कास्त्रो का निधन 90 वर्ष की उम्र में हो गया। बताते हैं कि अमेरिका की सीआईए ने कास्त्रो को 638 बार मारने की कोशिश की थी लेकिन वह हर बार बच जाते थे। उन्होंने साल 1959 में सत्ता संभाली थी और साल 2008 में सत्ता अपने भाई को सौंपी। 13 अगस्त 1926 को जन्मे फिदेल के पिता स्पेन के एक समृद्ध प्रवासी जमींदार थे और उनकी मां क्यूबा निवासी थीं। बचपन से ही कास्त्रो चीजों को बहुत जल्दी सीख जाते थे और एक बेसबॉल प्रशंसक थे। उनका अमेरिका की बड़ी लीगों में खेलने का सुनहरा सपना था लेकिन खेल में भविष्य बनाने का सपना देखने वाले फिदेल ने बाद में राजनीति को अपना सपना बनाया।
2. 1956 में उन्होंने क्यूबा क्रांति का शंखनाद किया और तमाम उठापटक के बाद 1959 में उन्होंने क्यूबा के तानाशाह बटिस्टा का तख्तापलट कर दिया। कास्त्रो का कहना था कि, 'इंसान किस्मत नहीं बनाता, किस्मत इंसान के लिए अवसर पैदा करती है।' आलोचकों के लिए वे मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों में से एक थे, कास्त्रो ने आलोचकों को कैद कर लिया, विपक्षी पार्टियों पर प्रतिबंध लगाया। प्रशंसकों ने उनमें दूरदर्शी व्यक्तित्व देखा जो अमेरिका के खिलाफ खड़ा था। कास्त्रो गरीबों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य लाने वाले और पूरी दुनिया में समाजवाद के आंदोलन का प्रसार किया।
3. वह पूरी दुनिया के लिए बतौर सेलिब्रिटी के तौर पर माने जाते थे, उनकी दाढ़ी, सेना की वर्दी, क्यूबा का बड़ा सिगार उन्हें एक अलग पहचान देता था।
4. जुलाई 2006 में कास्त्रो को आंतों का ऑपरेशन कराना पड़ा जिसके कारण उन्होंने सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो के हाथ में सौंप दी। राउल ने अपने भाई के अमेरिका विरोधी रुख के विपरीत काम करते हुए दिसंबर 2014 में संबंधों में सुधार के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ हाथ मिलाने की घोषणा करके दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया था।
5. किसी के लिए कास्त्रो एक महान क्रांतिकारी थे जिन्हें दबे-कुचले वर्ग का मसीहा समझा जाता रहा, तो किसी के लिए वह एक तानाशाह है जिन्होंने क्यूबा के लोगों को अपनी मनमानी का शिकार बनाया। कास्त्रो ने कभी अपनी प्रतिमा को सड़क पर बनाने के लिए नहीं कहा इसके बावजूद उनकी छवि और शब्द हर जगह व्याप्त हैं।
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