अफ़गान पुलिस और तालिबान, दोनों ने इसकी पुष्टि की है.
अफ़गान अधिकारियों के अनुसार शनिवार को तालिबान नेताओं ने उन्हें स्थानीय बुजुर्गों को सौंप दिया था.
पिछले महीने ग़ज़नी प्रांत में काबुल से कंधार के मुख्य हाईवे से विद्रोहियों ने फ़रीबा और उनके बच्चों का बंदूक के बल पर अपहरण कर लिया था.
कहा जा रहा है कि उन्हें तालिबान लड़ाकों के परिजनों की रिहाई के बदले छोड़ा गया है.
महिला आज़ादी पर ख़तरा
तालिबान ने एक बयान में कहा, "अफ़गानिस्तान के इस्लामी अमीरों ने गरिमा के साथ महिला संसद सदस्य को ग़ज़नी में उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया है. यह रिहाई कैदियों की अदला-बदली के तहत सरकार के ग़लत ढंग से पकड़ी गईं चार महिलाओं और उनके बच्चों को छोड़ने के बाद की गई."
काकर के तीन बच्चे और उनके ड्राइवर को तालिबान ने 14 अगस्त को किए गए क्लिक करें अपहरण के कुछ देर बाद ही छोड़ दिया था.
कुछ बरसों में अफ़गानिस्तान में अपहरण एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है.
आपराधिक संगठन सरकारी अधिकारियों, धनी लोगों या उनके रिश्तेदारों का अपहरण कर या तो फ़िरौती मांगते हैं या उन्हें विद्रोहियों को बेच देते हैं.
काकर के अपहरण का मामला विद्रोहियों के किसी महिला सासंद के अपहरण का पहला मामला है.
संवाददाताओं का कहना है कि यह विशिष्ट महिलाओं पर हिंसात्मक हमलों के सिलसिले में एक ख़तरनाक शुरुआत हो सकती है.
काकर 2005 में एक निचले सदन के लिए एक निर्दलीय सदस्य के रूप में चुनी गई थीं. वह 249 सदस्यों वाले सदन की 69 महिला प्रतिनिधियों में से एक हैं. सांसद बनने से पहले वह एक शिक्षिका थीं.
अगले साल के अंत तक नैटो सेनाओं को अफ़गानिस्तान छोड़ देना है.
ऐसी आशंकाएं हैं कि अफ़गान महिलाओं को मिली थोड़ी सी आज़ादी छिनने की शुरुआत हो गई है.
गुरुवार को पक्तिका प्रांत में चरमपंथियों ने भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उन्होंने पूर्व तालिबान सरकार के दौरान अपनी ज़िंदगी के बारे में एक स्मरण लिखा था, जिस पर एक हिंदी फ़िल्म भी बनी थी.
जुलाई में दक्षिणी हेलमंद प्रांत में सबसे वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
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