ऐसा लगता है कि आपकी जिंदगी बुरे एक्सपीरिएंसेस से भरी पड़ी है? अगर हां, तो तो थॉट्स चेंज करने के लिए बनाइए एक फील गुड जर्नल. जब भी उदास हों उसे लेकर बैठ
जाइए. पन्ने पलटिए और देखिए कि जिंदगी में कितनी खुशियां भरी पड़ी हैं...
अपने जर्नल में छोटी-छोटी चीजें लिखिए. हर वो छोटी बात जिसने आपको खुशी दी हो. जैसे आपके दोस्त ने कभी आपको बारिश में अपना छाता दे दिया हो, किसी लडक़ी ने
स्माइल कर के थैंक्यू कहा हो.
बड़े अचीवमेंट्स लिखिए, जैसे हाईस्कूल का रिजल्ट, ग्रेजुएशन पास करना, प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन, पहली डेट, पहला इंटरव्यू, पहली जॉब वगैरह. सालों बाद जब आप इन्हें पलट
कर देखेंगे तो पाएंगे कैसे ये चीजें आपकी जिंदगी के माइलस्टोंस हैं, और कैसे इन्होंने आपको शेप दिया है.
जर्नल में ये भी लिखें कि किस मोमेंट पर आप क्या करना चाहते हैं. हो सकता है हाईस्कूल में डॉक्टर बनना चाहते हों, ग्रेजुएशन में गिटारिस्ट, मगर बन गए मैनेजर. छोटी-छोटी
हॉबीज भी लिखें.
साइकियाट्रिस्ट डॉ.उन्नति कुमार बताती है कि फील गुड हमारी पॉजिटिविटी को बढ़ता है. ये एक ऐसा जर्नल है जो हमें नए आइडियाज देता है, और उन प्वॉइंट्स पर सोचने का
मौका देता है जिस पर अक्सर हम एक तरफा विचार करते है. साइकोलॉजिकल प्रिंसिपल्स पर बना ये जर्नल उन लोगों के लिए है जो टेंशन से घिरे हुए हैं या कोई ऐसी प्रॉब्लम जिसे
आप किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते हैं.