वेटिकन के सेंट पीटर्स चौक में ऑग्रेनाइज एक स्पेशल कैनोनिशेसन मास के दौरान पोप ने केरल के कैथोलिक प्रीस्ट फादर चावारा और सिस्टर यूप्रासिआ के साथ चार लोगों को संत डिक्लेयर  किया. इस पब्लिक सेरमनी में बड़ी तादात में फॉलोअर्स, बिशप, प्रीस्ट और नन जुटी थीं. इस हिस्टॉरिकल मोमेंट में पार्टिसिपेट करने के लिए केरल से काफी तादाद में क्रिश्चियन फॉलोर्स वेटिकन पहुंचे. इंडियन गवरमेंट की ओर से भी एक टीम वहां पहुची है जिसको राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन पीजे कुरियन लीड कर रहे हैं. जिन दूसरे चार स्प्रिंच्युअल लीडर्स को संत डिक्लेयर किया गया है, उनमें इटली के गियोवन्नि एंटोनियो फरीन, लुडोविको दा कैसोरिया, निकोला दा लांगोबार्दी और अमाटो रोंकोनि शामिल हैं. एक लंबे प्रोसेस के बाद पादरी चावारा और सिस्टर यूप्रासिआ को सेंटहुड दिया गया है.



सोशल रिर्फामर थे फादर चावरा
1805 में अलपुझा जिले की एक मिडिल क्लायस फेमिली में फादर चावारा का जन्म हुआ था. उनकी डेथ 1871 में हुई थी. वह एक स्प्रिच्युअल लीडर के साथ एक सोशल रिर्फामर भी रहे हैं.  उन्होंने न सिर्फ कैथोलिक क्रिश्चियन्स बल्कि दूसरी कम्यू्निटी की भी वीक क्लास के लोगों की एजुकेशन के लिए काफी काम किया था. सबसे सरप्राइजिंग और इंट्रस्टिंग बात ये है कि उन्होंने सबसे पहले एक संस्कृत स्कूल स्टैब्लिश किया था. फादर चावारा को सेंट डिक्लेयर करने का प्रोसेज 1884 में स्टार्ट हुआ था.

Father Chavara and Sister Euphrasia were conferred sainthood by Pope Francis

कौन थीं सिस्टर यूप्रासिआ
त्रिचूर डिस्ट्रि क्टआ में 1977 में सिस्टर यूप्रासिआ का जन्म हुआ था. जबकि 1952 में उनकी डेथ हुई. वह लाइफ लांग त्रिचूर के आश्रम में ही रहीं. प्रेयरिंग मदर के नाम से फेमस सिस्टर यूप्रासिआ अपने पास आने वाले फॉलोअर्स को कंसोल करती और बेटर लाइफ के बारे में एडवाइस देती थीं. उन्हें जानने वाले उन्हें सेंट अमंग नंस कहा करते थे. 5 जुलाई 2002 में उन्हें सर्वेंट ऑफ गॉड कर टाइटिल दिया गया. उन्हें सेंट डिक्लेयर करने का प्रोसेज 1987 में स्टार्ट हुआ था. उन्हें 3 दिसंबर 2006 में ब्लेस्ड भी डिक्लेयर किया गया था.

इन दोनों को सेंटहुड मिलने के बाद केरल की सदियों पुरानी मालाबार कैथोलिक चर्च के पास अब तीन संत हो गए हैं. इसके पहले 2008 में सबसे पहले सिस्टर अलफोंसा को यह टाइटिल मिला था.

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