नई दिल्ली (आईएएनएस)। बी1617 वैरियंट सबसे पहले महाराष्ट्र में डिटेक्ट किया गया। यह दो अलग-अलग वायरस के वैरियंट ई484क्यू तथा एल452आर से मिलकर बना है। तीसरा म्यूटेशन वायरस डबल म्यूटेंट वायरस से विकसित हुआ है। तीन विभिन्न कोविड स्ट्रेंस से नया वैरियंट बनता है। यह वेरियंट पहले से ज्यादा खतरनाक तथा ज्यादा तेजी से संक्रमण फैलाता है।
चार के सैंपल में से मिले ट्रिपल म्यूटेंट वायरस
महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल तथा छत्तीसगढ़ से एकत्रित किए गए सैंपल्स में से दो ट्रिपल म्यूटेंट वेराइटी के मिले हैं। आरएनए वायरस में अपनी प्रतियां बनाने तथा संक्रमण फैला कर म्यूटेशन करने की पूरी क्षमता होती है। म्यूटेशन कभी-कभी वायरस के ऐसे वेरियंट के रूप में सामने आती है जो वातावरण में खुद को बेहतर तरीके से जीवित रहकर पनपने में सक्षम बना लेती है।
म्यूटेंट वायरस की कड़ी निगरानी करनी होगी
कोच्चि में अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में क्लीनिकल वायरोलाॅजी लैब्रटोरी के फैकल्टी इनचार्ज डाॅ. वीणा पी मेनन ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, 'जैसे-जैसे वायरस फैलेगा इसे म्यूटेशन के ज्यादा मौके मिलेंगे तथा यह तेजी से खुद को विकसित करेगा। वायरस के जीवन चक्र का यह कुदरती गुण है। हमें म्यूटेंट वायरस के बदलते रूप तथा उसके गुण की निगरानी करनी होगी।'
भविष्य में दिखेंगे वायरस के और वेरियंट
एम्स नई दिल्ली के सेंटर फाॅर कम्यूनिटी मेडिसिन में असोसिएट प्रोफेसर डाॅ. हर्षल आर साल्वे ने आईएएनएस से कहा, 'सांस से फैलने वाले वायरस में म्यूटेशन एक कुदरती प्रक्रिया है। म्यूटेशन के बाद वायरस संक्रमण समुदाय के लोगों में तेजी से फैलता है। भारत में भविष्य में इस वायरस के और भी वेरियंट देखने को मिलेंगे।'
टीकाकरण से वायरस नियंत्रण में बड़ी मदद
वैक्सीनेशन कोविड वायरस के संक्रमण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत बाॅयोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन यूके वेरियंट तथा ब्राजील वेरियंट सहित डबल म्यूटेंट स्ट्रेंस को नाकाम करने में पर पूरी तरह प्रभावकारी है।
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