नई दिल्ली (एजेंसियां)। Delhi Kisan Andolan: किसान संगठनों द्वारा चलो दिल्‍ली मार्च के चलते देश की राजधानी दिल्‍ली पूरी तरह से घिरी नजर आ रही है। क्‍या यूपी और क्‍या हरियाणा दोनों ओर से दिल्‍ली के एंट्री प्‍वाइंट्स किसानों के लिए सील कर दिए गए हैं। ऐसे में नोएडा समेत गुरुग्राम- दिल्ली नेशनल हाइवे पर मीलों लंबा ट्रैफिक जाम नजर आ रहा है। सुबह अपने ऑफिस की ओर निकले लोग घंटों देरी से पहुंच पा रहे हैं, या रास्‍ते में ही फंसे हैं। सभी एंट्री प्‍वाइंट्स पर दंगा-रोधी उपकरणों से लैस पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों ने बैरिकेड्स, कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटेनरों की दीवारों की कई लेयर्स लगा दी थीं, जिसके चलते अन्‍य लोग भी बुरी तरह फंस गए हैं।

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किसान आंदोलन के चलते राजीव चौक समेत कई मेट्रो स्‍टेशन के कई गेट बंद
किसानों के दिल्ली चलो मार्च के आह्वान को देखते हुए सुरक्षा कारणों से दिल्‍ली के कई बड़े मेट्रो स्टेशनों के कई गेट बंद हैं, हालांकि स्टेशन चालू हैं। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) के एक अधिकारी ने कहा, "राजीव चौक, मंडी हाउस, केंद्रीय सचिवालय, पटेल चौक, उद्योग भवन, जनपथ और बाराखंभा रोड के कुछ गेट सुरक्षा निर्देशों के अनुसार बंद कर दिए गए हैं। हालांकि, स्टेशन अभी भी चालू हैं। हरियाणा और उत्तर प्रदेश के एंट्री और एग्जिट प्‍वाइंट्स पर बड़े पैमाने पर ट्रैफिक जाम देखा गया क्योंकि 'दिल्ली चलो' के मद्देनजर दंगा-रोधी उपकरणों से लैस पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों ने बैरिकेड्स, कंक्रीट ब्लॉक लगाकर रास्‍तों को बंद कर दिया है। किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए, अर्धसैनिक बलों के साथ पुलिस को टिकरी, सिंघू और गाज़ीपुर सहित दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा उपायों के रूप में तैनात किया गया है, जिसमें सीमेंट ब्लॉक और कीलें लगाई गई हैं। दिल्ली पुलिस ने एहतियात के तौर पर सोमवार को पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी थी और सीमाओं पर हेवी सेक्‍योरिटी अरेंजमेंट कर दिए थे।

बवाना स्टेडियम को किसानों के लिए अस्थायी जेल बनाने से दिल्‍ली सरकार का इंकार
दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलने के केंद्र के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि किसानों की मांगें वास्तविक हैं। केंद्र की मांग को ठुकराते हुए, दिल्ली के मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, किसानों की मांगें सही हैं। दूसरे, शांतिपूर्ण विरोध करना प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। इसलिए, किसानों को गिरफ्तार करना गलत है। वास्तव में, सरकार को उन्हें बातचीत के लिए बुलाना चाहिए और उनकी वास्तविक समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए। देश के किसान हमारे 'अन्नदाता' हैं और उन्हें गिरफ्तार करके इस तरह का व्यवहार करना उनके घावों पर नमक छिड़कने जैसा होगा। दिल्‍ली सरकार की ओर से कहा गया कि हम केंद्र सरकार के इस फैसले में पार्टी नहीं बन सकती, इसलिए स्टेडियम को जेल में बदलने की मंजूरी नहीं दी जा सकती है।

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